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मेरा संघर्ष जानिए, ... आज मैं विजेता हूं

locationइंदौरPublished: May 24, 2023 07:42:06 pm

3 साल की उम्र में सपना को मिली व्हीलचेयर, हिम्मत नहीं हारी तो आज लोगों के लिए मिसाल हैं

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इंदौर. आए दिन पढऩे-सुनने को मिलता है कि जीवन से निराश होकर किसी ने गलत कदम उठा लिया। संघर्ष तो सभी के जीवन में है। आप भी निराशा के दौर से गुजर रहे हैं तो मिलिए सपना शर्मा से। तमाम संघर्षों से टकराकर इन्होंने कामयाबी की नई इबारत लिखी है। ये हौसले की मिसाल हैं। इन्हीं के शब्दों में पढ़ते हैं, इनकी कहानी...।
खेल ने सिखाया जीना: मेरा संघर्ष 3 साल की उम्र से शुरू हुआ था। एक डॉक्टर की लापरवाही ने मुझे व्हीलचेयर पर बैठा दिया। 12वीं तक पढ़ाई संघर्षपूर्ण थी। दूसरे बच्चों की तरह मैं भी चलना, दौडऩा, खेलना चाहती थी।
परिवार का सपोर्ट मिला
सब बच्चे जब मुझे क्लास में अकेला छोडक़र चले जाते, तब मुझे खुद पर गुस्सा आता था, लेकिन दुखी होने के अलावा मेरे पास कुछ नहीं था। मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया। मैं अपने भाई-बहन, दोस्तों को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने मुझे समस्याओं से बाहर निकला। कॉलेज के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता नहीं मिली। स्टडी के साथ 5 साल तक जनपद पंचायत इंदौर में कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब की। वर्ष 2016 में संदीप शर्मा से लव मैरिज की। उन्होंने हर कदम पर साथ दिया। 2019 में बेटी हुई। इसके बाद कुछ लोगों ने जिंदगी बदल दी। सुनील परचाजी और शहजाद भाई मुझे खेल की दुनिया में लाए।
तीन बार नेशनल
में हुआ चयन
मैंने तीन बार नेशनल लेवल पर खेला है। पहली बार जीत नहीं मिली तो हताश हुई पर परिवार ने मोटिवेट किया। 2022 व 23 में गुजरात के साथ खेली। इसमें उप विजेता रही। हाल ही में मुझे मप्र दिव्यांग महिला टीम का कप्तान बनाया गया है। मुझे बॉयस के साथ प्रैक्टिस करनी पड़ती है, क्योंकि दिव्यांग लड़कियां खेलों में बहुत कम हैं। मेरी सरकार से गुजारिश है, आम खिलाडिय़ों जैसी सुविधा दिव्यांगों को भी दी जाए।
सपना ञ्च 5 सूत्र: डर के आगे जीत है
लक्ष्य तय करें। मेहनत व ईमानदारी से उसे पाने का प्रयास करें।
भगवान ने हर काम के लिए समय तय किया है। समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता। किस्मत के सहारे न रहें, कठिन परिश्रम करें।
लक्ष्य के लिए लगनशील, आशावादी, धैर्यवान बनें।
जो बीत गया, उसे पलट कर
न देखें।
दूसरों की बातों को नजरअंदाज करें। उनकी बातों में आकर हम लक्ष्य से भटक जाते हैं।
लोग सिर्फ कहेंगे, लोगों का काम है कहना। अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाओ। जिस काम से डर लगे, उसे पहले करो।
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