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इंदौर

हरियाली को बढ़ावा देने का फिर से किया जा रहा दावा

नगर निगम : गत वर्ष 3.50 लाख से ज्यादा लगाए गए थे पौधे, फिर भी शहर नहीं दिख रहा हरा-भरा

इंदौरJun 12, 2021 / 03:11 am

रमेश वैद्य

हरियाली को बढ़ावा देने का फिर से किया जा रहा दावा
इंदौर. बरसात आने के साथ ही नगर निगम एक बार फिर हरियाली को बढ़ावा देने के दांवे कर रहा है। बीते साल भी नगर निगम ने शहर में लाखों पौधे लगाए थे। लेकिन ये हरियाली कागजों में ही दिखाई दे रही है।
नगर निगम के दस्तावेजों के मुताबिक बीते साल 3.50 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए थे। इनमें 1.06 लाख वानिकी पौधे (वृक्ष प्रजाति) के थे। इनमें नीम, बड़, पीपल, जैसेे बड़े पौधे शामिल थे। सृप्त, फूलों के, मौसमी, ग्राउंड कवर, हेज प्लांट जैसे छोटे पौधे भी लगाए। निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक 1.06 लाख वानिकी पौधों में से अधिकांश पौधे सिरपुर तालाब, ट्रेचिंग ग्राउंड, पितृ पर्वत सहित नदी के किनारों पर लगाए हैं। इन जगहों पर ही लगभग 80 हजार से ज्यादा पौधों को लगाया गया है। जबकि शहर के बाकी हिस्सों में भी 25 हजार से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं।
इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाए जाने के बाद भी शहर में कहीं पर भी हरियाली का स्तर ज्यादा बढ़ा हुआ नजर नहीं आ रहा है। नगर निगम नदी किनारे पौधे लगाने का दांवा कर रहा है। लेकिन उनमें से की पौधे जिंदा ही नहीं बचे थे, जिनके कारण यहां सालभर में दो से तीन बार पौधे लगाने पड़े थे। इन्हें भी इसी गिनती में रखा जा रहा है।
एक किलोमीटर में लग जाते हैं 10 हजार पौधे
नगर निगम के रिकॉर्ड को देखें तो डिवाइडर पर लगाए जाने वाले छोटे पौधों को लेकर अलग ही आकंडा दिखाई देता है। अधिकांशत: सडक़ के डिवाइडर्स पर लगाए गए हैं। निगम के मुताबिक एक किलोमीटर के डिवाइडर में लगभग 10 हजार छोटे पौधे लग जाते हैं।
डिवाइडर और बगीचों में लगाए छोटे पौधे
नगर निगम ने बीते साल नदी किनारे बड़ी संख्या में पौधारोपण करने की बात कही थी, इसमें रिवर फ्रंट के आसपास पौधारोपण का दावा किया गया था। लेकिन उसमें नदी के बड़े हिस्से में जहां पर वॉकिंग ट्रेक आदि बनाए गए हैं, वहां पर वानिकी प्रजाति से ज्यादा छोटी प्रजाति के पौधों को लगाया गया है। इसके साथ ही बगीचों में भी फूलों, सहित ग्राउंड कवर करने वाले पौधों को लगाया गया। वहीं, डिवाइडर पर भी निगम ने बड़ी संख्या में छोटे पौधे लगाए हैं।
हमारे द्वारा लगातार पौधारोपण किया गया। लेकिन अलग-अलग कारणों से पौधे खत्म हो जाते हैं, जिनमें नदी में पानी बढऩे, सफाई के दौरान गाद आदि डालने सहित कई कारण हैं, फिर भी हम पौधों को बड़ी संख्या में जिंदा रखने में कामयाब रहे हैं। – रजनीश कसेरा, अपर आयुक्त

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