आयुक्त निवास पर सीएसआइ पहुंचे थे, लेकिन आयुक्त इंदौर से बाहर होने के कारण मुलाकात नहीं हो पाई। इधर, सीएसआइ के इस प्रदर्शन की भनक अन्य अफसरों को लगी तो हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य विभाग के अपर आयुक्त रोहन सक्सेना ने मोर्चा संभला। उन्होंने सीएसआइ से बात की और जो भी समस्या है, उसे बैठकर हल करने की बात कही। उन्होंने समझाइश देकर सीएसआइ को काम पर बुलाया, जो कि इस आश्वासन पर लौटकर आए कि आज दिन में उनकी समस्या का निराकरण किया जाएगा। पगार न मिलने और स्पॉट फाइन के टारगेट से भी सीएसआइ नाराज हैं।
इधर, सीएसआइ का कहना है कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2017 और 18 में हमने मेहतन करके इंदौर को सफाई में नंबर वन बनाया। पहले थोड़ी बहुत राहत हमें मिलती थी, लेकिन अब स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 के लिए बिल्कुल राहत नहीं मिल रही है। सुबह 6 बजे से घर से निकलते हैं, लेकिन वापस जाने का समय नहीं रहता, क्योंकि दोपहर 2 बजे तक फ्री होते ही बैठक बुलाने के साथ या फिर अन्य काम पर लगा दिया जाता है। ऐसे में न तो नींद पूरी हो पाती और न परिवार को समय दे पाते हैं। शाम को घर पहुंचे के बाद रात में फिर दौड़ा दिया जाता है। कचरा फैलाने, थूकने और पॉलिथीन रखने वालों के खिलाफ 30-30 चालान बनाने का टारगेट दिया गया है, जबकि यह कार्रवाई टारगेट की नहीं बल्कि निरीक्षण के दौरान करने की है, क्योंकि गलती करने पर ही फाइन किया जा सकता है जबरदस्ती नहीं।
पगार न मिलने से है नाराज
सीएसआइ का कहना है कि अस्थायी सफाईकर्मियों के विनियमितिकरण की कार्रवाई चल रही है। इसके चलते हर जोन पर एक-एक सीएसआइ के पास 200 से ज्यादा फाइलें हैं। सफाई का काम संभालने के साथ अब इनका निराकरण करने में समय लगता है। ऐसे में फाइलों का निपटान न होने पर कर्मचारियों को पगार नहीं मिल रही है। इस कारण अब हमारी भी पगार रोक दी गई है। उनका कहना है कि नियमानुसार 8 घंटे काम कराया जाना चाहिए, लेकिन हम तो 10 से 12 घंटे तक ड्यूटी करने को तैयार हैं, लेकिन थोड़ी राहत भी दी जाए।