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इंदौर

100 कॉलोनियां वैध तो हो गईं, लेकिन बने मकानों का नक्शा पास कराना आसान नहीं

गैर आवासीय उपयोग की कॉलोनियों में अधोसंरचना मिलने में है परेशानी, कंपाउंडिंग के नियमों में भी है दिक्कत

इंदौरMay 25, 2023 / 08:04 pm

रमेश वैद्य

100 कॉलोनियां वैध तो हो गईं, लेकिन बने मकानों का नक्शा पास कराना आसान नहीं

इंदौर. शहर की 100 अवैध कॉलोनियों में नागरिक अधोसंरचना देने की इजाजत तो मिल गई है। लेकिन, अभी भी इनमें बने मकानों के नक्शे पास होने में कई अड़चनें हैं। इनका हल किए बगैर इनमें बने मकानों का नक्शा पास नहीं हो सकता। शहर में लगभग 150 कॉलोनियां ऐसी हैं, जो गैर आवासीय जमीनों पर मौजूद हैं। इन कॉलोनियों का हल भी अभी निकलता नहीं दिख रहा। वर्तमान नियमों को देखें तो सरकार की मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है।
जिन कॉलोनियों में अधोसंरचना की इजाजत मिली है, उनमें नए मकान बनाते समय तो उनके नक्शे नियमों से स्वीकृत हो जाएंगे। लेकिन, बने मकानों के नक्शे पास कराना बड़ी परेशानी बनेगी। इन्हें कंपाउंङ्क्षडग की श्रेणी में लेकर नक्शे तो स्वीकृत किए जा सकते हैं पर वर्तमान में जो नियम हैं, उनमें कई दिक्कतें आएंगी।
हल ढूंढते रहे अफसर
अधोसंरचना की अनुमति के बाद ऐसी कॉलोनियों में मकानों की अनुमति किस तरह से दी जाए, इसको लेकर अफसर माथापच्ची करते रहे। अफसर बुधवार को रास्ता ढूंढने की कोशिश में जुटे रहे। योजना शाखा प्रभारी राजेश उदावत अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे। उदावत के मुताबिक, नियमों के तहत स्थिति देख रहे हैं। उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे।
जमीन का भू-उपयोग बदलना होगा
निगम ने शहर की 636 अवैध कॉलोनियों को अधोसंरचना प्रदान करने की सूची में शामिल किया था। इनमें से 150 कॉलोनियों का भूमि उपयोग आवासीय नहीं है या फिर वह सरकारी या चरनोई की जमीन पर हैं। इनमें द्वारकापुरी, प्रजापत नगर, विदूरनगर, दिलीपनगर, तालाचाबी नगर, न्यायनगर मेन, साईंबाबा नगर, परिवहन नगर जैसी कॉलोनियां शामिल हैं। इनमें से अधिकांश कॉलोनी ग्रीन बेल्ट की जमीन पर हैं। साथ ही आइडीए में उलझी न्याय नगर एक्सटेंशन, सर्वानंदनगर जैसी कॉलोनियां भी हैं। इसी तरह सीङ्क्षलग एक्ट, सरकारी जमीन होने से खजराना, निपानिया, कैलोदहाला, कनाडिय़ा, तलावली चांदा की कई कॉलोनियों को भी अधोसंरचना की अनुमति नहीं मिल पा रही हैं। जबकि, इनमें बड़ी संख्या में लोगों के घर बने हुए हैं।
कंपाउंडिंग नियमों में भी है दिक्कत
कंपाउंडिंग नियमों के तहत बने मकानों की कंपाउंडिंग फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) के तहत नक्शा पास किया जा सकता है।
वर्तमान में इंदौर में डेढ़ का एफएआर आवासीय मकानों के लिए तय है। 10त्न कंपाउंडिंग के नियमों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
एफएआर और कंपाउंङ्क्षडग नियमों के अनुसार यदि किसी का 1000 वर्गफीट का प्लॉट है तो उसे डेढ़ एफएआर के मुताबिक 1500 वर्गफीट व 10 फीसदी के हिसाब से 150 अतिरिक्त कुल 1650 वर्ग फीट तक निर्माण अनुमति मिल सकती है। यदि इससे ज्यादा निर्माण है, तो पहले उसे तोडऩा होगा।
कंपाउंङ्क्षडग उस समय ही की जा सकती है, जब फ्रंट एमओएस की जगह छूटी हुई हो। पार्किंग की जगह छूटी हुई हो। यदि इन पर कब्जा है तो उसे पहले कब्जा हटाना होगा।
नियमों में करना होगा बदलाव
सरकार ने अवैध कॉलोनियों में अधोसंरचना देने के लिए नियम बनाए हैं, लेकिन उसमें मकानों की अनुमति के नियम स्पष्ट नहीं हैं। ऐसे में बने मकानों को केवल कंपाउंङ्क्षडग के जरिए ही अनुमति दी जा सकती है। लेकिन, उसमें भी कई शर्तें हैं, जिनमें एफएआर की बाध्यता है। एमओएस, पार्किंग की जगह की बाध्यता है। ऐसे में इन शर्तों के साथ बने मकानों का नक्शा स्वीकृत होना मुश्किल होगा। इसके लिए नियमों में बदलाव करने ही होंगे।
वीपी कुलश्रेष्ठ, पूर्व सिटी प्लानर, टॉपिक एक्सपर्ट
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