री-साइकिल कागज से बनी स्कूली किताबों से बच्चों को नुकसान से जुड़ा कोई रिसर्च नहीं : केंद्र
– जनहित याचिका पर केंद्र सरकार ने पेश किया जवाब, राज्य सरकार ने नहीं दिया उत्तर
– चार सप्ताह बाद फिर होगी सुनवाई- स्कूल शिक्षा विभाग और एनसीईआरटी को भी जारी है नोटिस
री-साइकिल कागज से बनी स्कूली किताबों से बच्चों को नुकसान से जुड़ा कोई रिसर्च नहीं : केंद्र
इंदौर. स्कूली बच्चों की किताबें और कॉपियों में री-साइकिल पेपर के इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस सुजोय पॉल और जस्टिस प्रणय वर्मा की युगल पीठ में केंद्र सरकार ने अपना जवाब पेश किया है। केंद्र का कहना है स्कूली किताबों में री-साइकिल कागज का इस्तेमाल से बच्चों पर किसी तरह के नुकसान से जुड़ी कोई भी रिसर्च अब तक नहीं की गई है। न ही ऐसे कोई केस सामने आए हैं, जिनमें बच्चों को कोई नुकसान हुआ हो। इसलिए यह याचिका विचार के योग्य नहीं है। मामले में राज्य सरकार को भी अपना जवाब पेश करना है। कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।10 राज्यों ने लगा रखी है रोक याचिका में मुद्दा उठाया गया है खराब और रद्दी कागज को री-साइकिल करने में कई तरह के केमिकल का प्रयोग होता है। इससे बच्चों को नुकसान होने की आशंका रहती है। देश के करीब 10 राज्यों ने स्कूली बच्चों की कॉपी किताबों में इसके इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। मप्र में भी इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। स्कूली बच्चों की किताबों का प्रकाशन का अधिकांश हिस्सा एनसीईआरटी ही करता है। सरकार जारी करे गाइड लाइन एडवोकेट जैरी लोपेज के माध्यम से गोपाल प्रसाद शर्मा ने यह याचिका दायर की है। पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना सहित करीब 10 राज्य ऐसे पेपर के इस्तेमाल पर रोक लगा चुके हैं। लोपेज का कहना हमने याचिका में मांग की है कि केंद्र सरकार ही इस पर एक गाइड लाइन जारी करे।
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