दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद से कानून की विसंगतियों के कारण अनेक तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अनेक शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने एक लॉ रिव्यू कमेटी का गठन किया था। इसमें मप्र से राज्य कर आयुक्त पवन कुमार शर्मा और संयुक्त आयुक्त सुदीप गुप्ता शामिल रहे। कमेटी ने कारोबारियों, व्यापारिक और टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन से चर्चा के बाद ४६ संशोधन प्रस्तावित किए। इनका अंतिम ड्राफ्ट 1 जुलाई को सरकार को सौंपा था। शनिवार को हुई काउंसिल की बैठक में जीएसटी लॉ कमेटी ने इन सिफारिशों को सदस्यों के समक्ष रखा। इस पर तय किया गया, सभी राज्यों को यह सुझाव दिए जाएं। इसके बाद अंतिम मसौदा बना कर पारित करवाएं।
अहम् संसोधन
– जीएसटी कानून में कंपोजिशन की व्यवस्था में सुधार करते हुए इसकी सीमा 1.5 करोड़ की जाएगी। साथ ही 5 लाख या टर्नओवर का 10 प्रतिशत जो भी अधिक होगा उतनी सर्विसेस पर भी कंपोजिशन लिया जा सकेगा।
– जीएसटी नंबर लेने के लिए अब मणिपुर और त्रिपुरा को छोडक़र सभी राज्यों में एक समान 20 लाख की लिमिट की गई है। अब एक से अधिक राज्यों में नंबर लिया जा सकेगा। इसके लिए अलग से ब्रांच दिखाना जरूरी नहीं होगा।
– इनपुट क्रेडिट की समस्याओं को सुधारते हुए कानूनी जरूरत के आधार पर सर्विसेस शामिल होंगी।
– क्रेडिट-डेबिट नोट की अनिवार्यता को शिथिल किया है। प्रत्येक सेल-पर्चेस के लिए नोट अनिवार्य नहीं होगा। कारोबारी चाहे तो सभी का एक नोट बना सकते हैं।
– अपील के लिए अब डिंमाड राशि का अधिकतम 10 प्रतिशत या 25 करोड़ रुपया जमा करवाना होगा। पहले यह 10 प्रतिशत अनिवार्य था।
– रिटर्न की व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए इसे आसान बना दिया गया है। इस संशोधन के बाद कारोबारी अपनी सुविधा के अनुसार रिटर्न भर सकेगा। अब 5 करोड़ तक तीन माह में रिटर्न भरना होगा।
– टैक्स हर माह भरना होगा, इसका भी तरीका आसान बनाते हुए आउटवर्ट व इनवर्ट जानकारी के साथ ही भरा जा सकेगा। इस व्यवस्थ को दो भी दो वर्ग में बांटा गया है। पहला सहज और दूसरा सुगम। इस संशोधन से 93 लाख कारोबारियों को फायदा होगा।
अहम् संसोधन
– जीएसटी कानून में कंपोजिशन की व्यवस्था में सुधार करते हुए इसकी सीमा 1.5 करोड़ की जाएगी। साथ ही 5 लाख या टर्नओवर का 10 प्रतिशत जो भी अधिक होगा उतनी सर्विसेस पर भी कंपोजिशन लिया जा सकेगा।
– जीएसटी नंबर लेने के लिए अब मणिपुर और त्रिपुरा को छोडक़र सभी राज्यों में एक समान 20 लाख की लिमिट की गई है। अब एक से अधिक राज्यों में नंबर लिया जा सकेगा। इसके लिए अलग से ब्रांच दिखाना जरूरी नहीं होगा।
– इनपुट क्रेडिट की समस्याओं को सुधारते हुए कानूनी जरूरत के आधार पर सर्विसेस शामिल होंगी।
– क्रेडिट-डेबिट नोट की अनिवार्यता को शिथिल किया है। प्रत्येक सेल-पर्चेस के लिए नोट अनिवार्य नहीं होगा। कारोबारी चाहे तो सभी का एक नोट बना सकते हैं।
– अपील के लिए अब डिंमाड राशि का अधिकतम 10 प्रतिशत या 25 करोड़ रुपया जमा करवाना होगा। पहले यह 10 प्रतिशत अनिवार्य था।
– रिटर्न की व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए इसे आसान बना दिया गया है। इस संशोधन के बाद कारोबारी अपनी सुविधा के अनुसार रिटर्न भर सकेगा। अब 5 करोड़ तक तीन माह में रिटर्न भरना होगा।
– टैक्स हर माह भरना होगा, इसका भी तरीका आसान बनाते हुए आउटवर्ट व इनवर्ट जानकारी के साथ ही भरा जा सकेगा। इस व्यवस्थ को दो भी दो वर्ग में बांटा गया है। पहला सहज और दूसरा सुगम। इस संशोधन से 93 लाख कारोबारियों को फायदा होगा।