इंदौर

अब ई-व्हीकल से उठेगा घरों का कचरा, बैटरी चार्ज तो 120 किमी चलेगी गाड़ी

इंदौर ने बढ़ाए प्रदूषण से आजादी की ओर कदम12 रु/प्रति किमी की लागत घट कर होगी 3 से 4 रु/किमी

इंदौरAug 17, 2022 / 03:50 pm

Ashtha Awasthi

e-vehicle

इंदौर। स्वच्छता में कई नवाचार करने के बाद अब इंदौर ने प्रदूषण कम करने के लिए भी नवाचारी प्रयास शुरू किया है। इसके लिए डीजल/पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक व अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से चलाने की योजनाएं आकार लेने लगी है। 15 अगस्त को एक स्टार्टअप के माध्यम से दो पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील कर इसकी शुरुआत कर दी गई है। अगले कुछ दिनों में 20 ई-व्हीकल घर-घर से कचरा लेने लगेंगे। एक्सपर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों से कचरा संग्रहण का गणित चौंकाने वाला है, इससे 70 प्रतिशत तक राशि बचेगी। सालभर में जलने वाले 11.70 लाख लीटर डीजल जलने से प्रदूषण भी रुकेगा।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव व निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने दो वाहन घर-घर से कचरा संग्रहण के लिए उतारा। इसके लिए भोपाल में ऑटो मोबाइल क्षेत्र में काम कर रहे एक स्टार्टअप का सहयोग लिया जा रहा है। अभी 535 वाहन चल रहे हैं। इनमें प्रतिदिन न्यूनतम 3210 लीटर डीजल लगता है, यदि 365 दिन कचरा संग्रहण करें तो 11.71 लाख लीटर डीजल लगेगा। इनकी संचालन लागत 12 से 13 रुपए प्रति किमी आती है। यदि ये इलेक्ट्रिक से होने लगे तो संचालन लागत 3 से 4 रुपए तक लाई जा सकती है।

मात्र 3 लाख खर्च आया

निगम ने पुराने वाहन के खराब इंजन को निकाल कर इसमें लिथियम बैटरी आधारित इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील किया। इसमें करीब 3 लाख रुपए का खर्च आया है। वर्तमान में निगम के पास 150 वाहन हैं। पहले चरण में 20 को इलेक्ट्रिक में बदला जाएगा।

पुराने वाहन में नवाचार

इस शुरुआत की कहानी भी रोचक है। वर्कशॉप के कर्मचारी मनीष पांडे ने पुराने वाहन को लेड एसिड बैटरी लगा कर इलेक्ट्रिक में बदल दिया। बैटरी चार्ज होने के बाद कम समय तक ही चली। इससे वाहन चालने में दिक्कत हुई। भोपाल में स्टार्टअप से परेशानी साझा की तो उन्होंने इसे लिथियम आयन में बदलने का सुझाव दिया। फिर खर्च का आकलन कर इसे तैयार किया गया।

नई शुरुआत

एक बार बैटरी चार्ज होने पर वाहन 120 किमी चलेगा। कचरा वाहन रोजाना औसत 45 से 48 किमी चलते हैं। एक बार चार्ज करने पर यह दो से तीन दिन चल सकेंगे। इसके आर्थिक पहलू को देंखे तो वर्तमान में संचालन लगभग 15-16 करोड़ रुपए सालाना खर्च आता है। यदि इसे इलेक्ट्रिक पर ले जाएंगे तो यह काम 4 से 5 करोड़ के बीच ही हो जाएगा।

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