नकारी के अनुसार निजी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को अलग-अलग तरह की छात्रवृत्ति दी जाती है। इसके लिए छात्र की तमाम जानकारी होना जरूरी है। इसलिए नए शिक्षा सत्र में बच्चों की मैपिंग और रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा गया था। यानी कि छात्र कहां रहता है, कौन से स्कूल में किस कक्षा में पढ़ रहा है कि मैपिंग होना थी। इसके बाद छात्र का रजिस्ट्रेशन किया जाता, जिसमें समग्र आईडी, अकाउंट नंबर, आधार कार्ड आदि जानकारी डालना थी।
४७ वें नंबर पर इंदौर मैपिंग के मामले में इंदौर ४७वें नंबर पर है। इंदौर जिले में ९१ फीसदी मैपिंग हो चुकी है, लेकिन रजिस्ट्रेशन ३३ फीसदी ही हुआ है।