इंदौर। शराब बेचना सरकार की मजबूरी है, लेकिन शराब ठेके देने के पहले और बाद में दुकान से हो रहे दुष्प्रभाव देखना भी जरूरी है। यह कहना है उन लोगों का, जो शराब दुकान के आसपास ही अपना व्यवसाय कर रहे हैं या वहां रहते हैं। एेसे कई लोग हैं, जो अपने क्षेत्रों से शराब दुकान हटवाना चाहते हैं। ठेकेदारों की मनमानी तो कहीं आबकारी विभाग के चंद अधिकारियों की मनमानी दुकानों को हटने नही देती। इधर, लोग शराबियों से परेशान हो गए हैं
स्थान- देशी मदिरा दुकान, भागीरथपुरा,
वक्त- रात 11 बजे
रात के सन्नाटे में सूनसान क्षेत्र में बनी यह कलाली अपराधी किस्म के लोगों के लिए पसंदीदा जगह है। यहां रात को भी कलाली से लोगों का शराब खरीदना जारी था। कुछ लोग ही अंदर पी रहे थे, बाकी ठंडी हवा का आनंद लेते हुए शराब पीते रहे।
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स्थान- देशी शराब दुकान, इमली बाजार
वक्त- रात 11 बजे
यहां शाम ढलते ही सड़क पर जाम छलकने लगते हैं। हालंाकि यहां से पुलिस थाने की दूरी चंद कदमों की है, लेकिन शराबियों पर किसी का जोर नहीं चलता। यहां रिपोर्टर ने अपने कैमरे में कुछ एेसे ही शराबियों को बाहर ही शराब पीते देखा।
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दादागिरी करते हैं
शराब पीने वाले हमारी दुकान के सामने आकर दादागीरी करते हैं। यहीं खडे़ रहकर शराब पीते हैं। हम मना करते हैं तो धमकाते हैं। पुलिस आती है, लेकिन वो 24 घंटे यहां खड़ी नहीं रह सकती। -दुुर्गेश जायसवाल, व्यापारी
विवाद की चिंता
इस क्षेत्र में शराब दुकान के नजदीक ही धर्मस्थल है। यहां अकसर रात को शराबी नशे में झगड़ते हैं। पुलिस का सहयोग मिलता है, लेकिन समस्या की मूल जड़ शराब दुकान है। -गालिब हुसैन, स्थानीय रहवासी
नियमानुसार होती है कार्रवाई
शराब दुकान का ठेका देने से पहले तमाम नियमों का पालन ठेकेदार से करवाते हैं। अगर फिर भी किसी को दुकान से समस्या है तो वे शासन को शिकायत करें। अगर दुकान हटवाना जरूरी है तो अधिकारी मौका-मुआयना कर जरूरी कार्रवाई करते हैं। जहां से शिकायतें आती हैं, वहां भी हम एक्शन लेते हैं। – संजीव दुबे, असिस्टेंट कमिश्नर आबकारी विभाग