पीएम-2.5 और कोरोना में संबंध तीसरी लहर का खतरा, स्कूलों में बच्चे कैसे रखेंगे सोशल डिस्टेसिंग पीएम 2.5 का फेफड़े- श्वसन तंत्र पर प्रभाव विशेषज्ञों के अनुसार पीएम 2.5 आबोहवा में घुलकर मनुष्य के फेफड़ों और आंतरिक श्वसन तंत्र को कमजोर कर रहा है। इससे एलर्जी हो रही है। यह कण खून में घुलकर परेशानी पैदा कर रहे हैं। कोरोना वायरस का आक्रमण फेफड़ों और श्वसन सिस्टम पर रहा। इन कणों के साथ ज्यादा घातक साबित हुआ। अध्ययन में कोविड और पीएम-2.5 के बीच अलग-अलग स्थितियों का विश्लेषण किया गया। जहां प्रदूषण स्तर और पीएम 2.5 की मात्रा अधिक मिली, वहां कोरोना संक्रमण का फैलाव तेजी से हुआ और मौतों की संख्या भी 7-33 प्रतिशत ज्यादा रही। लिहाजा ठंड में बिगड़ रही आबोहवा वायरस के संक्रमण को फैलने में मदद कर सकता है। इस बार इंदौर में न्यूनतम पारा सामान्य से नीचे बना हुआ है, इसके चलते प्रदूषक तत्व स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।