60 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट के बाद लोग आराम का सोचते हैं, लेकिन इंदौर के गोवर्धनपाल जादौन इस उम्र में राज्य स्पर्धा में इंदौर टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए 18-20 साल के युवाओं को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने चर्चा में बताया, एक बार यूं ही नेहरू स्टेडियम पहुंचकर पॉवर लिफ्टिंग संघ से जुड़े मोहनसिंह राठौर से मिला। मेरा जोश देखकर उन्होंने मौका दिया और आज टीम का हिस्सा हूं। एक बार मास्टर वर्ग में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं।
कक्षा १२वीं की छात्रा प्रगति सदाफुले के पिता रिक्शा चलाते हैं, लेकिन बेटी का सपना पावर लिफ्टिंग के खेल में देश का नाम रोशन करना है। पांच साल से इस खेल में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही प्रगति शहर के मध्य जूना रिसाला में रहती हैं और अभ्यास के लिए रोजाना करीब १५ किलोमीटर दूर गांधी नगर क्षेत्र में जाती हैं। प्रतिदिन मैजिक वाहन से जाने वाली प्रगति की प्रेरणा बड़ी बहन नीतू है, उन्हीं को देखकर वे इस खेल में आई थीं।
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज से पिछले साल डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने वाली सोनल त्रिपाठी का कहना है, करीब चार साल पहले मेरा वजन ७० किलो था। एक बार गिरने पर स्लिप ***** की परेशानी हो गई। करीब एक साल तक बिस्तर पर रही। फिर उठी और जिम जाना शुरू किया। वहां जाकर पॉवर लिफ्टिंग करने का मन बनाया और आज इस खेल में १७० से २०० किलो वजन तक उठा लेती हूं। इस खेल ने मुझे वजन से लडऩे की ताकत दी। अब मैं ५५ किलो की हूं।