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इंदौर

हाई कोर्ट : पीएससी चेयरमैन, सचिव, सदस्य और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ कार्रवाई पर रोक जारी

भील जनजाति विवाद: हाई कोर्ट में पीएससी की याचिका पर जवाब देने के लिए शासन ने मांगा समय
रवि बघेल का इंटरविनर आवेदन स्वीकार
भास्कर चौबे, रेणु पंत और परीक्षा नियंत्रक रवींद्र पंचभाई ने भी दायर की याचिका

इंदौरJan 22, 2020 / 11:18 am

हुसैन अली

हाई कोर्ट : पीएससी चेयरमैन, सचिव, सदस्य और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ कार्रवाई पर रोक जारी

हाई कोर्ट : पीएससी चेयरमैन, सचिव, सदस्य और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ कार्रवाई पर रोक जारी

इंदौर. मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) को राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न पत्र में भील जनजाति को लेकर आपत्तिजनक गद्यांश शामिल करने के मामले में दायर याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस विवेक रूसिया की एकल पीठ के समक्ष पीएससी की याचिका पर शासन की ओर से केस डायरी के साथ अपना जवाब पेश करना था, लेकिन उनके वकील द्वारा समय मांग लिया है।
हाई कोर्ट : पीएससी चेयरमैन, सचिव, सदस्य और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ कार्रवाई पर रोक जारी
कोर्ट ने पीएससी के चेयरमैन, सचिव, सदस्य और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ फिलहाल कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगाते हुए 30 जनवरी को अगली सुनवाई के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने पीएससी को भी हिदायत दी है कि वे जांच में पूरी तरह सहयोग करें। अजाक थाने में पीएससी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने वाले रवि बघेल का इंटरवेंशन आवेदन भी कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस मामले में पीएससी चेयरमैन भास्कर चौबे, सचिव रेणु पंत और परीक्षा नियंत्रक रवींद्र पंचभाई ने एक याचिका दायर की है। कोर्ट ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई के आदेश दिए हैं। तीनों अफसरों ने अजाक थाने में दर्ज एफआईआर के तहत उन पर कार्रवाई पर रोक की मांग की है। 17 जनवरी को पीएससी की याचिका पर कोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर केस डायरी पेश करने के आदेश दिए थे।
पीएससी के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट में केस

मालूम हो पीएससी की परीक्षा में भील जाति को लेकर विवादित प्रश्न पूछे जाने पर जय युवा संगठन के सदस्य रवि बघेल की शिकायत पर पुलिस ने पीएससी के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट में केस दर्ज किया है। पीएससी के वकील का कहना था इस मामले में पीएससी ने चूक मानते हुए जांच शुरू कर दी और नोटिस भी जारी किए गए हैं। इस बीच पुलिस में एफआईआर दर्ज की है, जिसमें चेयमरैन, सचिव और सदस्यों के नाम भी शामिल किए जा सकते हैं, जो कि जिम्मेदार नहीं हैं इसलिए एफआईआर दर्ज की जाना चाहिए थी। जबकि शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता रवींद्र सिंह छाबड़ा का कहना था, एफआईआर में किसी का भी नाम शामिल नहीं किया गया, मामले की पूरी जांच के बाद जिम्मेदार के खिलाफ ही कार्रवाई की जाएगी।

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