इंदौर स्टेशन के आसपास रेलवे ट्रैक ऐसे बदमाशों के कारण असुरक्षित हो गया है। भोपाल में रेलवे ट्रैक के पास युवती से हुई गैंग रेप की घटना के बाद भी इंदौर में आरपीएफ और जीआरपी ने इस मामले में सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए हैं। रेलवे पुलिस सिर्फ स्टेशन की सुरक्षा को ही अपनी जिम्मेदारी मान रहे हैं, रेलवे ट्रैक की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
आसपास हैं कई शिक्षण संस्थान
इंदौर रेलवे स्टेशन से लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन और राजेंद्र नगर स्टेशन तक का रेलवे ट्रैक बीच शहर से गुजरता है। इस ट्रैक के पास कई शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हंै। क्लास के बाद युवक-युवतियां ट्रैक पार कर यहां से वहां जाते हैं। ट्रैक के इन्हीं हिस्सों में नशा करने वाले और लूट की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाश मौजूद रहते हैं।
इंदौर रेलवे स्टेशन से लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन और राजेंद्र नगर स्टेशन तक का रेलवे ट्रैक बीच शहर से गुजरता है। इस ट्रैक के पास कई शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हंै। क्लास के बाद युवक-युवतियां ट्रैक पार कर यहां से वहां जाते हैं। ट्रैक के इन्हीं हिस्सों में नशा करने वाले और लूट की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाश मौजूद रहते हैं।
पहले नशा, फिर वारदात
न्यूज़ टुडे टीम ने इंदौर से राजेंद्र नगर स्टेशन के ट्रैक का मुआयना किया। इस ट्रैक पर कहीं बदमाश झुंड में नशा करते मिले तो कहीं ट्रैक के साथ छेड़छाड़ करते हुए। लोकमान्य नगर स्टेशन के ठीक पहले बदमाश नशीली सामग्री सिगरेट में भरकर पी रहे थे। जब हमने इनके फोटो लिए तो इन्होंने कहा कि फोटो मत लो, वरना पुलिस आ जाएगी। सैफी नगर स्टेशन के पास ट्रैक पर भी इसी तरह कुछ युवक बैठकर ट्रैक के साथ छेड़छाड़ करते रहे।
न्यूज़ टुडे टीम ने इंदौर से राजेंद्र नगर स्टेशन के ट्रैक का मुआयना किया। इस ट्रैक पर कहीं बदमाश झुंड में नशा करते मिले तो कहीं ट्रैक के साथ छेड़छाड़ करते हुए। लोकमान्य नगर स्टेशन के ठीक पहले बदमाश नशीली सामग्री सिगरेट में भरकर पी रहे थे। जब हमने इनके फोटो लिए तो इन्होंने कहा कि फोटो मत लो, वरना पुलिस आ जाएगी। सैफी नगर स्टेशन के पास ट्रैक पर भी इसी तरह कुछ युवक बैठकर ट्रैक के साथ छेड़छाड़ करते रहे।
नहीं करते हैं गश्त
आरपीएफ द्वारा रेलवे ट्रैक पर गश्त नहीं की जाती। कोई घटना होने के बाद आरपीएफ की टीम पहुंचती है। इंदौर से राजेंद्र नगर के बीच दो फ्लैग स्टेशन हैं, यहां भी न कभी आरपीएफ जवान दिखते हैं, न जीआरपी के सिपाही। इसी का फायदा ट्रैक पर तफरीह करने वाले असामाजिक तत्वों को मिलता है।
समय-समय पर ट्रैक पर बैठने वाले असामाजिक तत्वों के संबंध में कार्रवाई की जाती है। अगर कहीं कोई लूट की वारदात को अंजाम दे रहा है, तो निगरानी रखी जाएगी।
आरपीएफ द्वारा रेलवे ट्रैक पर गश्त नहीं की जाती। कोई घटना होने के बाद आरपीएफ की टीम पहुंचती है। इंदौर से राजेंद्र नगर के बीच दो फ्लैग स्टेशन हैं, यहां भी न कभी आरपीएफ जवान दिखते हैं, न जीआरपी के सिपाही। इसी का फायदा ट्रैक पर तफरीह करने वाले असामाजिक तत्वों को मिलता है।
समय-समय पर ट्रैक पर बैठने वाले असामाजिक तत्वों के संबंध में कार्रवाई की जाती है। अगर कहीं कोई लूट की वारदात को अंजाम दे रहा है, तो निगरानी रखी जाएगी।
जेआर यादव, टीआई आरपीएफ यह होती है कार्रवाई
ट्रैक पर बैठना, गुजरना या अन्य गतिविधि करते हुए पकड़े जाने पर आरपीएफ द्वारा धारा १४७ के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें तीन माह की जेल और एक हजार रुपए तक जुर्माना लगता है, लेकिन आरपीएफ द्वारा ट्रैक पर बैठने वाले असामाजिक तत्वों को डरा कर भगा दिया जाता है। सिपाही के जाने के बाद यह असामाजिक तत्व दोबारा सक्रिय हो जाते हैं।
ट्रैक पर बैठना, गुजरना या अन्य गतिविधि करते हुए पकड़े जाने पर आरपीएफ द्वारा धारा १४७ के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें तीन माह की जेल और एक हजार रुपए तक जुर्माना लगता है, लेकिन आरपीएफ द्वारा ट्रैक पर बैठने वाले असामाजिक तत्वों को डरा कर भगा दिया जाता है। सिपाही के जाने के बाद यह असामाजिक तत्व दोबारा सक्रिय हो जाते हैं।
-आरपीएफ और जीआरपी की पहुंच स्टेशन तक ही इंदौर से राजेंद्र नगर स्टेशन तक
-पटरी-पटरी न्यूज टुडे टीम की पड़ताल, ट्रैक पर असामाजिक तत्वों का कब्जा
-पटरी-पटरी न्यूज टुडे टीम की पड़ताल, ट्रैक पर असामाजिक तत्वों का कब्जा