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इंदौर

चार साल की मासूम के साथ रेप के बाद हत्या, परिजनों ने कोर्ट में पीटा, फांसी की सजा सुन कांप उठा आरोपी

मासमू बच्ची का मुंहबोला मामा है आरोपी।

इंदौरOct 01, 2019 / 09:52 am

Pawan Tiwari

चार साल की मासूम के साथ रेप के बाद हत्या, परिजनों ने कोर्ट में पीटा, फांसी की सजा सुन कांप उठा आरोपी

चार साल की मासूम के साथ रेप के बाद हत्या, परिजनों ने कोर्ट में पीटा, फांसी की सजा सुन कांप उठा आरोपी

इंदौर. चार साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार व हत्या के दोषी हनी उर्फ कक्कू अठवाल (22) को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कार्ट ने इसके साथ ही दो धाराओं में आजीवन कारावास के साथ 24 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।
सजा का एलान होते ही रो पड़े मामूस के मां-बाप
विशेष अपर सत्र न्यायाधीश सविता सिंह की कोर्ट से सजा का एलान होते ही मासूम के पिता और मां फूट-फूट कर रोने लगे। इस दौरान पिता ने कहा- मेरी मासूम बच्ची को पत्थर से कुचल कर मार दिया। मैं इसे अभी जान से मारना चाहता हूं। चाहे मुझे फांसी पर चढ़ा देना। परिजन ने जैसे-तैसे मतृक मासूम के मां-बाप को संभाला।
कोर्ट में कांप रहा था आरोपी
कोर्ट में सजा का एलान होने से पहले ही मासूम बच्ची का मुंहबोला मामा दरिंदा हनी थरथर कांप रहा था। घटना के कुछ महीने पहले ही वह फरियादी के घर में रहता था। हनी को जेल ले जाने के दौरान बच्ची के माता-पिता ने कोर्ट परिसर में ही उसकी जमकर पिटाई कर दी। बड़ी मुश्किल से पुलिस उसे कोर्ट से जेल लेकर गई।
ट्यूशन से किया था अगवा
जिला अभियोजन अधिकारी मोहम्मग अकरम शेख ने बताया 25 अक्टूबर, 2018 को हनी ने बच्ची को उसके ट्यूशन से अगवा कर लिया था। सुदामा नगर निवासी बच्ची के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत की। दो दिनों बाद 27 अक्टूबर को सुबह बच्ची का शव एमजीरोड थाने के करीब कान्ह नदी के पास शिवाजी मार्केट के पीछे बने बोगदे से मिली। बच्ची से बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई और फिर पत्थर के नीचे दबा दी थी। घटना के कुछ दिनों के बाद पुलिस ने हनी को रतलाम से गिरफ्तार किया था।
47 गवाहों के होने थे बयान
इस मामले की जांच के लिए एसआईटी भी गठित की गई थी। इस मामले में कुल 47 बयानों के गवाह होने थे लेकिन 36 गवाह के बयान दर्ज किए गए। पुलिस ने हत्यारे के पास मासूम के कपड़े जब्त किए थे और डीनए भी कराया था। टेस्ट रिपोर्ट को ही कोर्ट ने अहम माना था। सीसीटीवी भी कोर्ट में मुख्य सबूत रहा। इस घटना का कोई चश्मदीद नहीं था तो कोर्ट ने साक्ष्यों को ही महत्वपूर्ण मानते हुए अपना फैसला सुनाया।
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