scriptदर-दर ठोकरें खा रहा देश पर कुर्बान होने वाले मस्ताना का परिवार | real story of shahid mastana and his family | Patrika News
इंदौर

दर-दर ठोकरें खा रहा देश पर कुर्बान होने वाले मस्ताना का परिवार

जती कॉलोनी में अपने भाई के साथ रहती हैं शहीद की पत्नी, केंद्र सरकार ने बंद की पेंशन

इंदौरAug 15, 2017 / 02:06 pm

अर्जुन रिछारिया

shahid family
इंदौर . जती कॉलोनी, रामबाग ब्रिज से आगे बढऩे पर दाएं हाथ पर कोने में एक छोटा सा मकान है, जिसकी देहरी पर मोटा सा चश्मा लगाए मालती देवी हरदुले बैठी हैं। अंधेरे कमरे में दरवाजे से अंदर पड़ रही रोशनी उनके चेहरे की झुर्रियां को और गहरा कर रही हैं। यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रभाकर राव हरदुले उर्फ मस्ताना की पत्नी मालती देवी हरदुले हैं। वे अपने भाई के घर में जीवन के आखिरी दिन गुजार रही हैं।
 ८४ वर्षीय मालती देवी आज ठोकरें खाने को मजबूर 

जिस मालती देवी के पति ने देश की आजादी के लिए जान की बाजी लगा दी, वही ८४ वर्षीय मालती देवी आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार ने प्रभाकर राव मस्ताना की मौत के बाद १ जून २०१६ से पेंशन देना भी बंद कर दी। इससे परिवार पर आर्थिक संकट आ गया है। पेंशन से ही मालती देवी के अलावा उनके एक दिव्यांग भतीजे और दूसरे भतीजे देवीदास देउस्कर व उनकी दो बेटियों के परिवार का गुजारा होता था। मालती देवी ने कई अर्जियां लगाईं, कलेक्टोरेट जाकर जानकारी दी, बावजूद पेंशन शुरू नहीं हो सकी।
अब तो कोई आता भी नहीं
मालती देवी कहती हैं, अफसर कहते थे कि केंद्र से मिलने वाली पेंशन में आपका नाम जोड़ दिया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। पति ने भारत छोड़ो आंदोलन में स्वदेशी अपनाओं के नारे के साथ विदेशी कपड़ों की खजूरी बाजार में होली जलाई। आजादी के ठीक पहले सवा साल जेल में बंद रहे। देश आजाद होने के बाद भी उनकी देशभक्ति कम नहीं हुई। १९६१ में गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल होने गोवा पहुंच गए। हमारा घर जूनी कसेरा बाखल में था, वहां १९४७ में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था। इसके पहले वे सवा साल जेल में रहे थे। बात करते-करते मालती देवी की आंखें डबडबा जाती हैं।

Home / Indore / दर-दर ठोकरें खा रहा देश पर कुर्बान होने वाले मस्ताना का परिवार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो