८४ वर्षीय मालती देवी आज ठोकरें खाने को मजबूर जिस मालती देवी के पति ने देश की आजादी के लिए जान की बाजी लगा दी, वही ८४ वर्षीय मालती देवी आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार ने प्रभाकर राव मस्ताना की मौत के बाद १ जून २०१६ से पेंशन देना भी बंद कर दी। इससे परिवार पर आर्थिक संकट आ गया है। पेंशन से ही मालती देवी के अलावा उनके एक दिव्यांग भतीजे और दूसरे भतीजे देवीदास देउस्कर व उनकी दो बेटियों के परिवार का गुजारा होता था। मालती देवी ने कई अर्जियां लगाईं, कलेक्टोरेट जाकर जानकारी दी, बावजूद पेंशन शुरू नहीं हो सकी।
अब तो कोई आता भी नहीं
मालती देवी कहती हैं, अफसर कहते थे कि केंद्र से मिलने वाली पेंशन में आपका नाम जोड़ दिया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। पति ने भारत छोड़ो आंदोलन में स्वदेशी अपनाओं के नारे के साथ विदेशी कपड़ों की खजूरी बाजार में होली जलाई। आजादी के ठीक पहले सवा साल जेल में बंद रहे। देश आजाद होने के बाद भी उनकी देशभक्ति कम नहीं हुई। १९६१ में गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल होने गोवा पहुंच गए। हमारा घर जूनी कसेरा बाखल में था, वहां १९४७ में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था। इसके पहले वे सवा साल जेल में रहे थे। बात करते-करते मालती देवी की आंखें डबडबा जाती हैं।