एमवाय अस्पताल में मेडिसिन विभाग के सीनियर डॉ. धर्मेंद्र झंवर ने बताया, वायरस अपना कैरेक्टर दो-तीन साल में बदलता है, इससे भी संक्रमण खतरनाक हो जाता है। वायरस की कल्चर जांच हर सीजन में होना चाहिए, जिससे प्रभावी दवा दे सकें।
– वायरस सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करता है।
– यह पहले नाक, गले व फेफड़े को प्रभावित करता है।
– जुकाम, खांसी, नाक से पानी आना व बार-बार छींक आना।
– बुखार, गले में दर्द, सिर में दर्द, पेट में दर्द, उल्टी व थकान।
– मांसपेशियों में अकडऩ जैसा महसूस होता है।
– सांस लेने में दिक्कत।
बच्चों, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को स्वाइन फ्लू का टीका लगवाना चाहिए।
संक्रमित को मास्क लगाकर रहना चाहिए, ताकि किसी और को न हो सके।
बुखार आने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
बीमारी को लेकर लापरवाही घातक।
गर्भवती महिलाएं, चूंकि उन्हें आम दवाएं नहीं दी जा सकतीं
डायबिटीज, कैंसर, किडनी व हार्ट पेशेंट
5 साल से कम या 65 वर्ष से अधिक उम्र के मरीज जागरुकता जरूरी
&शहरी इलाके में मरीजों के जल्दी अस्पताल पहुंचने से कोई मौत नहीं हुई। लक्षण दिखने या बुखार आने पर तुरंत चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए।
डॉ. आशा पंडित, प्रभारी, आरडीएसपी