अपै्रल २०१७ में बिहार की एक कंपनी को बैटरी कार चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी। नियमानुसार हर बैटरी कार को अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर खड़ा होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में ट्रेन आने पर सभी कार एक साथ नगर सेवा, बस की तर्ज पर पहुंच जाती हैं और सवारियां बैठाने में लग जाती हैं। १९ अगस्त को हुई घटना के बाद आरपीएफ ने बैटरी कार संचालन करने वाली कंपनी पर प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
रेलवे सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य जगमोहन वर्मा ने बताया कि बैटरी कार को लेकर पांच बार से अधिक शिकायत रेलवे से की जा चुकी है, बावजूद रेलवे द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है। १० जून और १९ अगस्त को बैटरी कार प्लेटफॉर्म से पटरी पर जा गिरी थी। दो बार इस कार से यात्री भी घायल हो चुके हैं, शिकायत जीआरपी थाने में की गई थी। यह बैटरी कार दिव्यांग व बुजुर्गों के लिए शुरू की गई थी, लेकिन आम यात्रियों व लगेज को प्राथमिकता से ढोया जाता है।
यह रखी मांग… बैटरी का अलग-अलग प्लेटफॉर्म से संचालन किया जाए। ड्राइविंग लाइसेंस, बैच, रजिस्ट्रेशन, फिटनेस आदि किया जाए। स्टेशन के किसी एक अधिकारी को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जाए ताकि हादसों पर लगाम लगाई जा सके। इसके साथ ही समय समय कार की स्पीड चेक की जाए।