इस बार संगठन चुनाव में प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने एक नया शिगूफा छोड़ दिया। वे चाहते हैं कि मंडल अध्यक्ष और उनकी टीम के सदस्यों की उम्र ३५ साल से पार नहीं होना चाहिए। मतलब मंडल इकाई युवाओं के हाथ में हो। घोषणा के बाद प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। इंदौर में भी कई ऐसे नेता हैं, जिनके अरमानों पर पानी फिर रहा है।
सच्चाई भी ये है कि ३५ साल तक तो कार्यकर्ता युवा मोर्चा में काम करता है। उसके बाद जब संगठन के कायदे कानून और उसकी शैली को समझ जाता है, तब मूल संगठन में दायित्व दिया जाता है। युवा मोर्चा में काम करने वाले कई कार्यकर्ता घर भी बैठ जाते हैं जो काम करता है, वह आगे बढ़ पाता है। ऐसे में अब पार्टी ३५ से कम उम्र के युवाओं को मूल संगठन में पदाधिकारी बनाने की बात कर रही है, तो नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
इन बातों को कुछ जबावदारों ने पार्टी के आला नेताओं को भी बता दी है, ताकि भविष्य में नया संकट खड़ा ना हो। यही वजह है कि ११ अक्टूबर से शुरू होने वाले मंडल के चुनाव में किसी न रुचि नहीं दिखाई है। इसी वजह से प्रदेश संगठन ने १५ अक्टूबर को भोपाल कार्यालय पर बैठक बुलाई है, जिसमें जिला अध्यक्ष, चुनाव प्रभारी व सह प्रभारी को भी बुलाया गया है। तय किया जाएगा कि आखिर किस उम्र के कार्यकर्ताओं को जवाबदारी दी जा सकती है।
क्या करेंगे वरिष्ठ कार्यकर्ता?
प्रदेश संगठन की मंशा अनुसार सभी युवाओं को पदाधिकारी बनाया तो वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। युवा मोर्चा में युवा और मूल संगठन में भी युवा। सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ३५ से अधिक उम्र के कार्यकर्ताओं का क्या होगा।
नगर भाजपा में २५ से ज्यादा सदस्यों को जगह नहीं दी जा सकती है। ऐसे में कई वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं, जिन्हें पार्टी ने ना तो विधानसभा, ना नगर निगम का चुनाव लड़ाया। वे सिर्फ संगठन के लिए ही काम कर रहे थे। अब उनके लिए समस्या खड़ी हो जाएगी कि कहां जाएं।