साईं भंडारा समिति के गोविंद शर्मा ने बताया कि इस भंडारे की शुरुआत 2009 में हुई थी, तब हमने 91 घंटे लगातार भंडारा किया। इसके बार हर साल भंडारे की अवधि एक-एक घंटे बढ़ते गई। 80 हजार निमंत्रण पत्र तैयार किए जाते हैं, जिन्हें देशभर में भेजा जाता है। मदद भी यहीं से आती है। श्रद्धालु खुद आकर यहां दान करते हैं।
तीन लाख लोगों की संभावना शर्मा ने बताया कि वर्ष 2014 में 96 घंटे भंडारा चला था, जिसमें 1 लाख 70 हजार लोगों ने प्रसादी ग्रहण की थी। इसे लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। इस रिकार्ड को वर्ष 2015 में 97 घंटे चले भंडारे में 2 लाख 07 हजार लोगों ने प्रसादी ग्रहण कर तोड़ दिया। 19 अक्टूबर से 100 घंटे का भंडारा शुरू होगा, जिसमें करीब 3 लाख श्रृद्धालुओं के आने की संभावना है।
नदी किनारे चलती है सेल्फ सर्विस इस भंडारे की खासियत यह है कि यहां कुछ घंटों बाद मीनू बदल दिया जाता है। यहां भंडारे मेंं तवा रोटी, तंदूरी रोटी, मक्का व ज्वार रोटी होती है। सब्जी में मौसमी सब्जी, रामभाजी, सेंव की सब्जी, बेसन, कड़ी, बूंदी रायता होता है। स्पेशल में इडली-सांभर, खिचड़ा और दाल होती है। मीठे में नुक्ती, बेसन चक्की, मक्खन बड़े, जलेबी, इमरती और गुलाब जामुन होते हैं। भंडारा आश्रम पर गंभीर नदी किनारे होता है। श्रृद्धालुओं को सेल्फ सर्विस की तर्ज पर खुद थाली में खाना लेना होता है। इसके बाद राजस्थानी पैटर्न पर बैठ कर भोजन किया जाता है। एक बार भोजन लेने के बाद परोसगारी शुरू हो जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि भंडारे में आने वाले लोगों की गिनती हो सके। पूरे भंडारे में एक बाल्टी से ज्यादा झूठन नहीं निकलता।