उन्होंने कहा कि आज भले ही अंग्रेजी संस्कृति सभी भाषाओं पर भारी साबित होती हो, लेकिन संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। समारोह में दो दर्जन से अधिक संस्कृत विद्वानों एवं वरिष्ठजनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व समारोह की शुरुआत में सामूहिक संगीतमय सुंदरकांड का पाठ किया गया।
संस्था के सचिव दिनेश मिश्र ने प्रतिवेदन पढ़ा।महाविद्यालय के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का भी सम्मान किया गया। समारोह में प्रबंध समिति अध्यक्ष रामबिलास खेमावास, प्राचार्य हरिशंकर शर्मा, सदस्य वृद्धिचंद शास्त्री, पार्षद रक्षा मिश्रा, सांवरमल शर्मा, कैलाश चंद शर्मा, ओमप्रकाश चतुर्वेदी, लादूराम गुर्जर, ब्रजमोहन बावला, कदीर खां समेत कई जने मौजूद थे। संचालन प्रधानाचार्य गोपाल शर्मा ने किया। (नि.प्र.)