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इंदौर

10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ाए वैज्ञानिक को रात बिताना पड़ेगी थाने में

आइएसआइ मार्क लाइसेंस देने के एवज में मांगी 50 हजार की रिश्वत, वैज्ञानिक को रात बितना पड़ेगी थाने में

इंदौरJun 08, 2019 / 08:20 pm

प्रमोद मिश्रा

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10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ाए वैज्ञानिक को रात बिताना पड़ेगी थाने में


इंदौर। भारतीय मानक ब्यूरों, भोपाल स्थित आंचलिक कार्यालय में पदस्थ वैज्ञानिक बी वर्ग अरुण कुमार शंखवार को लोकायुक्त की टीम ने 10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा। सांवेर रोड की फैक्टरी में बनने वाले सोडियम हाइपो क्लोराइट (संक्रमण रोकने का केमिकल) को आइएसआइ मार्का का लाइसेंस देने के एवज में वैज्ञानिक ने 50 हजार की रिश्वत मांगी थी। भोपाल से फैक्टरी आकर पहली किस्त के रूप में 10 हजार लेते ही लोकायुक्त की टीम ने पकड़ लिया। लोकायुक्त ने उन्हें गिरफ्तार किया है, आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। रात सेंट्रल कोतवाली थाने में बिताना पड़ रही है।
सुबह करीब 10.30 बजे भोपाल में पदस्थ वैज्ञानिक अरुण कुमार शंखवार फरियादी सुनील अजमेरा की सांवेर रोड सेक्टर एफ स्थित सन ऐज फार्मा फैक्टरी पर पहुंचे। अजमेरा के साथ लोकायुक्त का एक कर्मचारी भी फैक्टरी पर था। यहां रिश्वत की राशि की बात हुई जिसे टेप किया। 50 हजार रुपए रिश्वत की बात तय हुई, पहली किस्त के 10 हजार देने पर वैज्ञानिक ने उसे लिफाफे में रखवाकर अपने बैग में रख लिए। इस बीच डीएसपी प्रवीणसिंह बघेल, निरीक्षक सुनील उइके व राहुल गजभिए की टीम ने उन्हें पकड़कर रिश्वत की राशि को जब्त कर लिया।
रिश्वत की राशि के लिए फेल कर दिया था सेंपल, दोबारा जांच करने आए थे वैज्ञानिक
सुनील अजमेरा के मुताबिक, उनकी दवाइयों की फैक्टर है। वे हास्पिटल को कई सालों से सोडियम हाई क्लोराइड लिक्विड सप्लाय कर रहे थे। केंद्र सरकार के स्वच्छता अभियान में हॉस्पिटल में भी यह अभियान चल रहा है जिसके तहत यह लिक्विड फ्लोर व आइसीयू को संक्रमण मुक्त रखने के लिए इस्तेमाल होता है। हाल ही में शासन ने नियम बनाया है कि सिर्फ आइएसआइ मानक उत्पादन ही लिए जाए। सरकार के उत्पादन प्रमाणन योजना के तहत अजमेरा बिना आइएसआइ मार्क के सामान सप्लाय नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने आवेदन किया। भारतीय मानक ब्यूरो, बाजार के विभिन्न उत्पादनों को आइएसआइ मानक प्रदान करने वाली संस्था है जो कि भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों ,खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, नई दिल्ली के अधीन कार्य करती है। यहां आवेदन करने पर भोपाल स्थित आंचलिक कार्यालय ने प्रक्रिया शुरू हुई।
सितंबर से अब तक अटका रखा था लाइसेंस
– आवेदन सितंबर 2018 में किया, दिसंबर 2018 में वैज्ञानिक शंखवार ने इंदौर आकर फैक्टरी से सेंपल लिए। इसके पहले सर्वे के लिए 7 हजार का शुल्क भी फैक्टरी संचालक ने जमा किया।
– अजमेरा का आरोप है कि मार्च 2019 को अधिकृत लैब से रिपोर्ट आ गई जिसमें उनके उत्पाद को आइएसआइ मार्क के लिए उपयुक्त माना।
– 12 मार्च को वैज्ञानिक ने उन्हें बताया कि रिपोर्ट आ गई है, जल्द आइएसआइ मार्क का लाइसेंस वे जारी कर देंगे। इसके बाद लगातार टाला गया। 12 मई को उनकी रिपोर्ट के आगे हाथ से फेल लिख दिया। अजमेरा का आरोप है कि जानबूझकर लैब की रिपोर्ट पर हाथ से फेल लिखा गया।

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