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कुलपति के पास फांसी का फंदा और नोटों की माला लेकर पहुंची कांग्रेस VIDEO मप्र शासन की ओर से जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार सरकार ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के कार्यकलापों एवं कुप्रबंध के संबंध में उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट तथा सामग्री के आधार पर मप्र विश्वविद्यालय, 1973 (क्रमांक 22 सन 1973 ) की धारा ५२ की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए उक्त अधिनियम की तृतीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट उपांतरणों के अध्यधीन रहते हुए अधिनियम की धार 13, 14, 20 से 25, 40, 47, 48, 54, 67 के उपबंध 24 जून 2019 से लागू कर दिए हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सरकार ने उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी में भी धारा 52 लागू कर दी है।
क्या होती है धारा 52… विश्वविद्यालय में जब प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितता की शिकायत शासन के पास पहुंचती है तो सरकार अध्यादेश के अनुसार अपनी शक्तियों का प्रयोग करती है। इस शक्ति के तहत कुलपति का चयन राज्यपाल की पैनल की जगह सरकार की पैनल से होता है। साथ ही कार्यपरिषद का चयन भी सरकार करती है। विवि की व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार एक वर्ष के लिए धारा 52 लगाती है जो अधिकतम तीन वर्ष तक की हो सकती है।
शहर कांग्रेस ने भी जताया विरोध सीइटी की बदहाल व्यवस्था के विरोध में शहर कांग्रेस के कार्यकर्ता सोमवार को कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ के पास फांसी का फंदा और नकली नोटों की माला लेकर पहुंच गए थे। सीइटी में हुई तकनीकी खराबी को लेकर वे लोग कुलपति को दोषी ठहरा रहे थे। नारेबाजी करते हुए उन्होंने कहा कि इस फंदे से छात्रों को फांसी लगा दो। प्रदर्शन की सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।
यूनिवर्सिटी को अच्छा बनाने की कोशिश की है मैंने अपनी तरफ से यूनिवर्सिटी को अच्छा बनाने की हरसंभव कोशिश की है। अब जो शासन सोचे वो उचित है। विरोध करने वालों का काम विरोध करना है, मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। राज्यपाल के सामने अपनी बात नहीं रखूंगा।
डॉ. नरेंद्र धाकड़, कुलपति