script‘घुड़सवार के जरिए मेरी हैट रेसीडेंसी पर भेजो’ देश में संचार क्रांति का यह है सबसे पहला मैसेज जो निकला था इंदौर से | 'Send on My Hats Residency Through Horse' Communication Revolution | Patrika News
इंदौर

‘घुड़सवार के जरिए मेरी हैट रेसीडेंसी पर भेजो’ देश में संचार क्रांति का यह है सबसे पहला मैसेज जो निकला था इंदौर से

देश के पहले एयरकंडीशंड पैलेस होने का दर्जा हासिल है माणिकबाग पैलेस को

इंदौरApr 18, 2019 / 03:56 pm

हुसैन अली

indore

‘घुड़सवार के जरिए मेरी हैट रेसीडेंसी पर भेजो’ देश में संचार क्रांति का यह है सबसे पहला मैसेज जो निकला था इंदौर से

इंदौर. कंप्यूटर क्रांति और एंड्रॉयड फोन के युग में यह कल्पना करना भी कठिन है कि 19शताब्दी में जब टेलीफोन भी नहीं होते थे, तब तीव्र गति से संचार का जरिया केवल इलेक्ट्रिक टेलीग्राम ही था, जो भारत में 1850 के बाद ही आया। भारत में ब्रिटिश हुकूमत ने पहला टेलीग्राम ऑफिस 1851 में कोलकाता में खोला था, लेकिन उससे एक साल पहले ही यानी 1850 में इंदौर में इसकी शुुरुआत हो गई थी, इसलिए हम फख्र से कह सकते हैं कि देश में संचार क्रांति की नींव इंदौर में ही रखी गई थी और इस बात का श्रेय जाता है होलकर शासक तुकोजीराव द्वितीय को।
इस बात का प्रमाण लंदन से प्रकाशित अखबार इंटरनेशनल डेली में 1850 में छपी एक खबर है। यह अखबार मेरे संग्रह में है। अखबार इंटरनेशनल डेली ने 10 अक्टूबर १८५७ में लिखा कि तुकोजी राव द्वितीय स्वयं विज्ञान के मेधावी छात्र थे। उन्होंने १८५० में तत्कालीन रेजिडेंट रॉबर्ट हेमिल्टन के सामने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मैं स्वयं के खर्च पर इंदौर से मुंबई तक इलेक्ट्रिक टेलिग्राम लाइन डलवाना चाहता हूं पर ब्रिटिश हुकूमत ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। चूंकि ब्रिटिश हुकूमत उस वक्त कई जगहों पर बगावतों के चलते राजाओं को संचार सुविधाओं की ताकत नहीं देना चाहती थी।
प्रस्ताव ठुकराए जाने पर तुकोजीराव द्वितीय ने इंदौर के अंदर ही राजबाड़ा से रेसीडेंसी तक इलेक्ट्रिक टेलीग्राम लाइन डलवाई। लाइन डलवाने के बाद उन्होंने रेसीडेंसी से पहला मैसेज राजबाड़ा भेजा था, जिसमें लिखा था कि घुड़सवार के जरिए मेरी हैट रेसीडेंसी पर भेजो। यह पहला संदेश १८५० में भेजा गया था, जो भारत का सर्वप्रथम प्रयोग था। रेसीडेंसी से राजबाड़ा तक जो लाइन डाली गई थी, उसमंे यह ध्यान रखा गया था कि मोहर्रम पर निकलने वाले सरकारी ताजिए को निकालने में तारों के कारण कोई अड़चन न आए। इसके कुछ साल बाद ब्रिटिश हुकूमत ने रेसीडेंसी एरिया में टेलीग्राम ऑफिस बनवाया था, जिसे लोग तार घर या तार ऑफिस कहते थे। अब उस जगह पर बीएसएनएल का ऑफिस है।
माणिकबाग पैलेस को १९०९ में यशवंत राव होलकर द्वितीय ने दो लाख ४० हजार रुपए की लागत से बनवाया था। इमारत को १९३० में रिनोवेट किया। उस वक्त इसके रिनोवेशन और इंटीरियर डिजाइनिंग के लिए जर्मन आर्किटेक्ट इकरात मैथ्युसिस को बुलवाया था। १९३२ में इस पैलेस को एयरकंडीशंड बनाया गया। यह पैलेस सेंट्रली एयरकंडीशंड था। देश में उस वक्त कोई दूसरा राजमहल एयरकंडीशंड नहीं था।
माणिकबाग की आंतरिक साज-सज्जा में आर्ट डेको फर्नीचर का इस्तेमाल किया गया, जो कि उस दौर में नए जमाने की डिजाइनिंग थी। इसमें सोने-चांदी की जगह स्टील का इस्तेमाल किया गया। इस महल की इंटीरियर डिजाइनिंग को फ्रांस और जर्मनी के इंटीरियर डिजाइनिंग कॉलेजों पढ़ाया जाता है। जर्मन आर्किटेक्ट इकरात ने यशवंत राव होलकर के रेलवे सेलून और शिकार कारवां को भी डिजाइन किया था।
indore
इंदौर से शुरू हुआ राशनिंग सिस्टम
सेकंड वल्र्ड वॉर के दिनों में देशभर में अनाज, शकर और दैनिक जीवन की अन्य जरूरी चीजों की भारी कमी हो गई। इन चीजों के भाव आसमान छू रहे थे और गरीब-मध्यम वर्ग को बड़ी तकलीफ उठाना पड़ रही थी। उस वक्त १९४२ में देश में पहली बार राशनिंग सिस्टम इंदौर में तुकोजीराव होलकर ने शुरू किया। इसके तहत गरीब लोगों के लिए राशन की दुकानें खोली गईं। राशन के कूपन दिए गए। इन दुकानों में अनाज, दालें, शकर, मिट्टी का तेल और कपड़ा उचित मूल्य पर मिलता था। इस बात का जिक्र बीबीसी ने फस्र्ट वेल आर्गनाइज राशनिंग सिस्टम कहकर किया था। बाद में यह सिस्टम पूरे देश में लागू किया गया।
1895 मेें महंगा था टेलीग्राम करना
इस चित्र में जो टेलीग्राम दिखाया गया है वह २९ जुलाई १८९५ का है। इसे इंदौर से इंदौर में ही भेजा गया है। इसे शिवाजी राव होलकर को एड्रेस किया गया। इस पर १५ रुपए के टिकट लगे हैं। इससे जाहिर होता है कि नई संचार की यह तकनीक तब बहुत महंगी थी।
1857 से पहले ऐसी थी रेसीडेंसी कोठी
इस चित्र में कोठी का पोर्च कवर्ड दिख रहा है। इसे 1857 में क्रांतिकारियों ने तोप के गोले दागकर क्षतिग्रस्त कर दिया था। रिनोवेशन में इसे हटा दिया।

1865 : टेलीग्राफ ऑफिस
वर्तमान में टेलीग्राफ ऑफिस की जगह बीएसएनएल का नया भवन बना है।
दूसरे विश्व युद्ध के समय गांधी हाल में हुई एक सभा में महाराजा यशवंत राव होलकर युद्ध और उससे जुड़ी राज्य की नीतियों के बारे में चर्चा करते हुए। पीछे बैठी हुई उनकी विदेशी पत्नी ‘से’ होलकर। रिचर्ड होलकर इन्हीं के पुत्र हैं।

Home / Indore / ‘घुड़सवार के जरिए मेरी हैट रेसीडेंसी पर भेजो’ देश में संचार क्रांति का यह है सबसे पहला मैसेज जो निकला था इंदौर से

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो