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इंदौर

गुरु जीव और परमात्मा के मध्य करते है सेतु का कार्य

– दलालबाग साईं ग्राम में हो रही भागवत कथा में दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी को भी निहारा भक्तों ने
 

इंदौरOct 16, 2018 / 08:19 pm

सुधीर पंडित

SAI BABA BHAGVAT KATHA

गुरु जीव और परमात्मा के मध्य करते है सेतु का कार्य

इंदौर. श्री केंद्रीय साईं सेवा समिति धार्मिक एवं मानव सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय साईं भागवत कथा में मंगलवार को व्यासपीठ से कथा वाचक शुभ्रम बहलजी ने भक्तों को बायजा मां की कथा सुनाते हुए सभी को भाव-विभोर कर दिया। कथा के पश्चात प्रतिदिन 8 हजार से अधिक भक्त महाप्रसादी भी ग्रहण कर रहे हैं।
मंगलवार को कथा वाचक शुभ्रम बहल ने कहा, कथा के प्रथम दिवस पर लोग एकत्रित होते हैं और कथा के विश्राम तक सब एक हो जाते हैं। ये कथा का शुभ फल है। गुरु जीव और परमात्मा के मध्य सेतु का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा,संत नहीं होंगे तो सम्पूर्ण संसार ही जलकर भस्मीभूत हो जाएगा। कथा वाचन में बायजा माता की कथा सुनाते हुए कहा कि बायजा मां का श्री साईं बाबा के लिए पुत्र का भाव था। उन्होंने कहा, संसार से संबंध तोड़ लेना वैराग्य नहीं है, अपितु भगवान से एक नवीन संबंध स्थापित कर लेना वैराग्य है। मधुर संकीर्तनों से सम्पूर्ण पंडाल को साईं भक्ति से ओतप्रोत कर दिया। दलालबाग में साईं ग्राम में कथा के साथ-साथ साईं बाबा के दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी को भी भक्त बड़ी संख्या में निहारने आ रहे हैं। प्रदर्शनी में बाबा के संदेशों और उपदेशों के साथ सर्वधर्म सम्भाव का संदेश भी यहां दिया जा रहा है। 8 एकड़ में फैले इस साईं ग्राम को भगवामय भी किया है। श्री केंद्रीय साईं सेवा समिति धार्मिक एवं मानव सेवा ट्रस्ट के मोहन सेंगर ने बताया, साईं भागवत कथा में व्यासपीठ का पूजन पाठक परिवार एवं भक्तों ने किया। कथा में आलोक खादीवाला, पंकज डोंगरे, पूरब कपूर, रत्नेश पुरी, विकास मालवीय, अनु जोशी, कल्पना चांवला, चायना पाठक, श्वेता खादीवाला सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।
वृक्षारोपण का संदेश- उन्होंने बताया कि शिर्डी में साईंनाथ का प्राकट्य नीम के वृक्ष के नीचे हुआ था। इसके बाद बाबा ने औरंगाबाद के निजाम स्टेट में जब चांद पाटील को दर्शन दिया। तब साईंनाथ आम के वृक्ष के नीचे विराजमान थे। उन्होंने कहा, इसी महत्वपूर्ण कारण की दृष्टि से बाबा में आस्था रखने वाले हर भक्त को वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए। जिससे कि न केवल प्रकृति का संवर्धन हो बल्कि स्वसुरक्षा के भी द्वार खुल जाएं। इस अवसर पर उन्होंने मराठी भाषा में लिखित श्री साईं आरती का हिंदी में अनुवाद कर श्रद्धालुओं का ज्ञानवर्धन किया।

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