scriptश्रीराम मंदिर अयोध्या के भूमि पूजन में विराजित होंगे इंदौर के गणेश | 'Shri Ganesh' of Shri Ram Temple in Ayodhya from Indore | Patrika News
इंदौर

श्रीराम मंदिर अयोध्या के भूमि पूजन में विराजित होंगे इंदौर के गणेश

भूमि पूजन में रखे जाएंगे इंदौर में तैयार किए गए मिट्टी, गोबर व 76 औषधियों के अर्क से गणपति, मूर्ति पहुंची अहमदाबाद, वहां से मंदिर के वास्तुकार ले जाएंगे अयोध्या

इंदौरAug 02, 2020 / 12:07 pm

Mohit Panchal

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का इंदौर से 'श्रीगणेश'

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का इंदौर से ‘श्रीगणेश’

इंदौर। अयोध्या में 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में इंदौर के गणेश विराजित होंगे। ये प्रतिमा ७६ औषधियों के अर्क से मंत्रोच्चारण के बीच विधि-विधान से तैयार की गई है, जिसे लेकर मंदिर के वास्तुकार अयोध्या पहुंचेंगे।
माटी गणेश की संस्थापक ज्योति सुबोध खंडेलवाल के मुताबिक मिट्टी व गोबर में 76 औषधियों के अर्क से मंत्रोच्चार के बीच बनी गणपति प्रतिमा भूमि पूजन में विराजित होगी। ये प्रतिमा वास्तुकार चंद्रकांत भाई सोमपुरा को अहमदाबाद भेज दी है। मूर्ति के साथ बनारस में पचरंगी धागे से बनी दिव्य माला, सैनिटाइजर पाउच और एक मास्क भी भेजा है। ३ अगस्त को चंद्रकांत भाई के बेटे आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा सवा 11 इंच की इस प्रतिमा को लेकर अयोध्या पहुंचेंगे। कल से जन्मस्थली में गणपति पूजन से भूमिपूजन समारोह की शुरुआत होगी।
ऐसे जमीन कहानी

ज्योति सुबोध ने बताया कि 31 तारीख को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय को फोन पर माटी गणेश प्रतिमाओं के बारे में बताते हुए प्रतिमा भेजने की स्वीकृति मांगी थी। राय ने स्वीकृति तो दे दी लेकिन अयोध्या प्रतिमा कैसे पहुंचेगी, ये सवाल खड़ा हो गया क्योंकि भूमि पूजन को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया। इस पर उन्होंने मंदिर के मॉडल की डिजाइनिंग करने वाले वास्तुविद चंद्रकांत भाई सोमपुरा के ३ अगस्त को आने की जानकारी दी। बताया कि आप अहमदाबाद में उन्हें प्रतिमा पहुंचा दे दें तो वे साथ ला सकते हैं। कल रात को उनके पास प्रतिमा पहुंच गई।
2014 से कर रहे तैयार

उल्लेखनीय है कि शास्त्रोक्त माटी गणेश मूर्ति बनाने का सिलसिला शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती और वेद और आगम शास्त्रों के विद्वान, आचार्य डॉ. विनायक पांडेय की प्रेरणा से 2014 में शुरू हुआ था। अब ये मूर्तियां मुम्बई, पुणे, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, जयपुर, जोधपुर, सूरत, बड़ौदा, भोपाल, जबलपुर तक जाती हैं।
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