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इंदौर

हेल्दी फैमिली के लिए टेरेस पर उगाएं ऐसे वेजीटेबल्स

हेल्दी फैमिली के लिए टेरेस पर उगाएं ऐसे वेजीटेबल्स
 

इंदौरJul 29, 2018 / 03:36 pm

amit mandloi

terrace garden

हेल्दी फैमिली के लिए टेरेस पर उगाएं ऐसे वेजीटेबल्स

इंदौर. अग्रवाल समाज केंद्रीय समिति के महिला प्रकोष्ठ की ओर से महिलाओं के लिए नवलखा स्थित विसर्जन आश्रम पर टेरेस गार्डन वर्कशॉप रखी गई। इसमें उद्यानिकी विशेषज्ञ सुस्मित व्यास ने छत पर किचन गार्डन विकसित करने के आसान टिप्स दिए। व्यास ने कहा, घर पर ही जैविक सब्जियां उगाने से पूरे परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सकती है। उन्होंने कहा, बाजार में मिलने वाली सब्जियों को उगाने में कैमिकल खाद, कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इन रसायनों के अंश सब्जयों के जरिए हमारे शरीर में पहुच रहे हैं जो बीमारियों का कारण बनते हैं।
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व्यास ने बताया, एक छोटे परिवार के लिए प्रतिदिन काम आने वाली जैविक सब्जियां, जिनमें टमाटर, मैथी, पालक, बैंगन, भिंडी, मूली, हरा धनिया, हरी मिर्च आदि को गमलों में छत पर आसानी से उगाया जा सकता है। टेरेस गार्डन के लिए ध्यान रखें कि छत पर पौधों को पानी देने व पानी की निकासी का भी उचित प्रबंध हो। पौधे इस ढंग से लगाए जाएं कि सिंचाई और गुड़ाई के लिए पौधों के नजदीक पहुंचना आसान हो। छत पर केवल सब्जियां ही नहीं फलदार पौधे जैसे नींबू, अनार, अमरूद, पपीता, केला भी लगाए जा सकते हैं। गार्डन की सुंदरता के लिए गुलाब सहित कई किस्म के सुंदर फूल भी लगाए जा सकते हैं। प्लास्टिक के गमलों के बजाय टिन या मिट्टी के बड़े गमलों का उपयोग करें। मिट्टी में जैविक खाद मिलाकर गमले भरें।
वर्कशाप के बाद विसर्जन आश्रम में महिलाआंे ने पौधे भी रोपे। अध्यक्ष प्रतिभा मित्तल ने प्रकोष्ठ की ओर से विसर्जन आश्रम की सहायतार्थ राशि भी भेंट की।
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सब्जियां उगाने का एक ढंग तो है कि पुराने व्यर्थ पड़े सिंक, टब, बाल्टियों, लकड़ी की पेटियों के साथ-साथ छत पर ही नीचे प्लास्टिक की मोटी चादर बिछा कर उस पर शाक वाली सब्जियां लगाई जा सकती हैं। बस ध्यान रखना होगा कि पानी के निकास की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। इसके लिए आप मिट्टी के बड़े गमलों के साथ-साथ इस व्यर्थ कबाड़ का सदुपयोग भी कर सकते हैं। पेंट, डिस्टेंपर आदि की व्यर्थ इक_ी होती बाल्टियां, पेंट के बड़े-बड़े डिब्बों के नीचे आपको कम से कम तीन छेद अवश्य बनाने चाहिए, ताकि पानी का निकास होता रहे।
आप पात्र कोई भी चुनें, उसमें पानी के निकास की भरपूर व्यवस्था अवश्य करें। खाद मिट्टी दूसरा चरण है। छेद पर कम से कम दो इंच मिट्टी के ठीकरे अवश्य बैठाएं। इससे फालतू पानी भी सोख लिया जाता है और निकल भी जाता है। खाद मिट्टी की व्यवस्था के लिए वही नियम लागू होता है, जो फूलों के गमलों के लिए होता है। मिट्टी भारी व चिकनी नहीं होनी चाहिए। दो भाग पुरानी मिट्टी, एक भाग गोबर की अच्छी पुरानी खाद व एक भाग पत्ती की पुरानी खाद व कुल तैयार खाद में दसवां भाग नीम की खली का चूरा मिला दें। यदि मिट्टी थोड़ी भारी लग रही है तो नदी की बालू रेत या बदरपुर की मोटी बजरी वाली एक भाग मिला दें, ताकि मिट्टी हल्की हो जाए व पानी का निकास होने से जड़ों के विकास में सहायता मिले। मिट्टी न मिलने की स्थिति में नदी की मोटी वाली बालू रेत अथवा बदरपुर की मोटी वाली बजरी में पत्ती व गोबर की खाद मिला कर सब्जियों को सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। यदि आप व्यवस्था कर सकें तो छत पर प्लास्टिक की मोटी चादर बिछा कर उसी पर तैयार खाद-मिट्टी फैला कर साग वाली सब्जियां, पुदीना, हरा धनिया, सलाद आदि सफलतापूर्वक उगाए जा सकते हैं। बस ध्यान इस बात का रहना चाहिए कि छत पर नीचे कमरों में पानी व सीलन से बचाव के लिए वॉटर प्रूफिंग की व्यवस्था अवश्य कर लें।

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