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इंदौर

एसटीएफ का अधिकारी बन नौकरी के नाम युवाओं को ठगा, वर्दी पहन, वायलेस सेट व नकली पिस्टल लगाए घूमता मिल गया आरोपी

उज्जैन में ठगी करने पर हुआ था गिरफ्तार, जमानत पर छूटने के बाद फिर शुरू कर दी हरकत, एसटीएफ ने पकड़ा

इंदौरOct 25, 2021 / 07:24 pm

प्रमोद मिश्रा

एसटीएफ का अधिकारी बन नौकरी के नाम युवाओं को ठगा, वर्दी पहन, वायलेस सेट व नकली पिस्टल लगाए घूमता मिल गया आरोपी

एसटीएफ का अधिकारी बन नौकरी के नाम युवाओं को ठगा, वर्दी पहन, वायलेस सेट व नकली पिस्टल लगाए घूमता मिल गया आरोपी

इंदौर. एसटीएफ ने एसटीएफ अधिकारी बनकर युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले आरोपी को पकड़ा है। पुलिस टीम आरोपी को पकडऩे गई तो वह वर्दी पहनकर वायरलेस सेट हाथ में लेकर व कमर में नकली पिस्टल लगाकर घूमता मिल गया। करीब 25-30 युवाओं को एसटीएफ व क्राइम ब्रांंच में नौकरी दिलाने के नाम पर वह ठगी कर चुका है।
एसटीएफ एसपी मनीष खत्री के मुताबिक, धोखाधड़ी के मामले में रोहित शर्मा उर्फ श्याम प्रेमी (27) पिता नागेश शर्मा गोम्मटगिरी, गांधी नगर को पकड़ा। आरोपी मूल रूप से मंदसौर का निवासी है। उसके पास से पुलिस की केप, वर्दी, दो वायरलेस सेट (वाकी टॉकी), नकली पिस्टल (लायटर), एक मोबाइल व कुछ दस्तावेज जब्त किए। भरत परमार व दिव्यांशु मौर्य ने आरोपी के खिलाफ शिकायत की थी। आरोपी ने फरियादी से खुद का परिचय एसटीएफ अधिकारी के रूप में दिया था। साथ ही एसटीएफ व क्राइम ब्रांच में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। आरोपी ने बताया था कि दोनों जगह पर बैक ऑफिस में नियुक्ति के विज्ञापन निकले है, वह नियुक्ति करा देगा। किसी से 8 हजार तो किसी से दस हजार रुपए लिए थे। बाद में वाट्सऐप पर मैसेज कर उन्हें बताया कि तुम्हारा आवेदन जमा हो गया है, फाइल नंबर भी देता था और जल्द नियुक्ति पत्र जारी होने का आश्वासन देता था।
ऑनलाइन खरीदे वायरलेस सेट, फ्री बस यात्रा के लिए बनवाया आरक्षक का फर्जी कार्ड
आरोपी खुद वर्दी में रहता था, साथ में वायरले सेट, पिस्टल रहती थी जिसके कारण सभी उस पर विश्वास कर लेते थे। कई दिनों तक नौकरी का झांसा देता रहा तो लगा कि मामला गड़़बड़़ है जिस पर एसटीएफ को सूचना दी गई। एसटीएफ टीम तलाशने पहुंची तो आरोपी वर्दी में मिला। पूछने पर उसने अपना परिचय एसटीएफ एसआइ के रूप में दिया। जब टीम ने असली एसटीएफ होने की जानकारी दी तो उसकी हवाइयां उड़ गई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। उसके पास से 2012 में जारी पुलिस आरक्षक का फर्जी पहचान पत्र भी मिला। आरोपी का कहना था कि बस में फ्री यात्रा करने के लिए उसने आरक्षक का फर्जी कार्ड बनवाया था। करीब 25 लोगों को नौकरी का झांसा देकर वह अभी तक ठगी कर चुका है।

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