इस शिक्षा सत्र में अभी तक एक बार भी स्कूली बैग को लेकर कार्रवाई नहीं हुई है। बता दें कि इस संबंध में सीबीएसई ने भी निर्देश जारी किए थे, बावजूद स्कूलों के प्रबंधन भी स्कूली बैग का वजन कम करने में असमर्थ हैं। वर्तमान में अधिकतर स्कूलों के बच्चे भारी भरकम 10 से 15 किलो के बैग ले जा रहे हैं, जिसमें 8वीं कक्षा का बच्चा 12 किलो तक का वजन ढोने को मजबूर है। वहीं 5वीं के बच्चे भी 10 से 12 किलो का वजन उठाने को मजबूर हैं।
ये मापदंड किए तय इसमें पहली से दूसरी कक्षा के बच्चों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह तीसरी से 5वीं कक्षा तक के बच्चों के बैग का वजन 2-3 किलोग्राम, छठवीं से सातवीं के लिए 4 किलो, 8वीं व 9वीं के बस्ते का वजन 4-5 किलो और 10वीं कक्षा के बस्ते का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए। इस मामले में कई साल पहले भी सीबीएसई ने दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन स्कूलों ने सभी नियम ताक पर रख दिए। कोई नियम अब तक लागू नहीं किया गया। हैरत की बात यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग भी इस ओर सख्त नहीं है।
आज टीम बनाएंगे, कल से कार्रवाई निजी स्कूलों में बैग के वजन से संबंधित निरीक्षण करने के लिए डीईओ की जिम्मेदारी तय की गई थी, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कमेटी नहीं बनी और न ही डीईओ ने एक भी बार भी निरीक्षण किया। प्रभारी डीईओ राजेंद्र मकवानी ने बताया कि इस संबंध में आज ही तीन दल गठित किए जा रहे हैं। शुक्रवार से स्कूलों में कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
यह भी कहा निर्देश में इस संंबंध में हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से दोबारा निर्देश जारी किए हैं। जिसमें स्कूली बैग के वजन के अलावा यह भी कहा गया है कि राज्य शासन द्वारा निर्धारित एवं एनसीईआरटी द्वारा नियत पाठ्य पुस्तकों से अधिक पुस्तकें विद्यार्थियों के बस्ते में नहीं होना चाहिए। शैक्षणिक संदर्भ सामग्री और वर्कबुक्स को कक्षा में ही रखने की व्यवस्था होना चाहिए। बच्चों के मनोरंजन और शारीरिक खेलकूद को स्कूल समय में पर्याप्त स्थान देना चाहिए।