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इंदौर

जो हम करते हैं बच्चे वही सिखते हैं : सुष्मिता सेन

ओरों में खुद को खोकर,’मैं’ को पाना बहुत बड़ा काम है….जीना भी इसी का नाम है…

इंदौरMar 21, 2024 / 08:37 pm

रमेश वैद्य

जो हम करते हैं बच्चे वही सिखते हैं : सुष्मिता सेन
इंदौर. खूबसूरती बाहर से नहीं, अंदर से होती है। हमें अपने भीतर वह कौशल पैदा करना चाहिए, जो उम्र भर रहे, चाहे चेहरे की खूबसूरती कभी रहे या ना रहे और मुझे लगता है हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी के हर पहलू का जश्न मनाना चाहिए। मैं भी यही करती हूं। मैंने अपने जीवन में हर चीज का जश्न मनाया है, चाहे वह जीत हो, हार हो, तकलीफ हो, या दुख हो। मैंने सबका जश्न मनाया है। यह बात फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री फ्लो के लेडीज ऑर्गनाइजेेशन के ग्रैंड फिनाले में शिरकत करने आई एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने कही।
सुष्मित सेन ने कहा, जब मैं 23 साल की थी तब ही मैंने एक बच्ची को गोद ले लिया था। वो कदम मैंने अपनी मर्जी से उठाया था, क्योंकि मैं हमेशा से ही मां बनना चाहती थीं। इसलिए मैंने बेटी को गोद लेने का फैसला लिया। इस कदम से मेरी लाइफ में मैंने बहुत से बदलाव महसूस किए और एक संतुलन भी आया। मेरी मां का मानना था कि मेरी उम्र भी कम है तो मैं उसकी देखभाल कैसे करूंगी? लेकिन पापा ने पूरा सपोर्ट किया। उस बच्ची ने जब पहली बार मुझे मां कहा तो लगा वाकई ये दुनिया का सबसे बड़ा सुख है। पहली बार चलने से लेकर उसकी हर हरकत पर ऐसी खुशी महसूस होती थी कि जैसे मैंने ही उसे जन्म दिया है।
मैं हर मां से यही कहना चाहती हंू कि जब वे अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है तो वे एक पीढ़ी की परवरिश कर रही होती है। हम बच्चों को जो परवरिश देते हैं, सीख देते हैं, वह बच्चे भूल जाते हैं, लेकिन बच्चे वही सीखते हैं, जो हम करते हैं। इसलिए यह ध्यान रखें, आपके बच्चे आपसे ही सीखेंगे। सुष्मिता ने कहा, हर महिला को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लेकिन हमें हर सिच्वेशन से लडऩे के लिए तैयार रहना चाहिए।
रिश्ते केवल खून से ही नहीं, विश्वास से भी बन सकते हैं
सुष्मिता ने कहा, सपने और उम्मीद एक न एक दिन पूरे होते हैं, लेकिन कई बार समय लगता है। मेहनत करते रहें और अपने आप पर काम करते रहें, फिर देखना एक दिन आपकी मुश्किलें स्वयं ही हल हो जाएंगी। मैंने पान वाले से लेकर प्रेसिडेंट तक कई लोगों से प्रेरणा ली है। मुझे अपने बचपन में सिखाई गई हर कहानी से प्रेरणा मिलती है। मैं मदर टेरेसा से बहुत प्रभावित हूं। यह मेरी खुशनसीबी है कि मैं उनसे मिल पाई और उनसे मिलकर मुझे सीख मिली कि रिश्ते खून से नहीं, विश्वास से बनाए जाते हैं। बच्चे पेट से जने जाएं, यह जरूरी नहीं है, वे दिल से भी जने जा सकते हैं। महिलाओं पर बेबाकी से जवाब देते हुए पूर्व मिस यूनिवर्स ने कहा, ‘मैं दुनिया को यह बताना चाहती हूं कि महिलाएं एक अच्छी सीईओ भी हो सकती है, एक मार्केटिंग वुमन भी हो सकती हैं, डायरेक्टर भी हो सकती हैं।

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