– आजादी के महासंग्राम में इंदौर से 1857, 1942 और 1947 में 39 दीवानों ने जान गंवाई।
– 1857 शिवदीन, जियालाल, भान सिंह, खेखलाल, हसन खां, गंगादीन, हंसराज, मीणा, सेवकराम, सुरजीत, शंकर, कृपाराम, गंगादीन, पूरन, जेवन सिंह, किशन, गयादीन, पूरन सिंह, खंडू शामिल रहे।
– 1942 सुखराम, रामचंद्र, घासीराम, शीतलसिंह, सेवाराम, लालसिंह, सोस, पंचम, देवा, रामलाल, सुखलाल को निशाना बनना पड़ा। सूबेदार सआदत खां, बंसगोपाल, भागीरथ सिलावट, राजा बख्तावर सिंह, रघुनंदन को फांसी दे दी।
– 1941 अनंत लक्ष्मण कनेरे, दुर्गा, रामनारायण मूजर और रमुआ को
– 1941 में फांसी पर चढ़ा दिया गया।
आजादी के परवानों का यह रिकॉर्ड संरक्षित रखने वाले सुभाष चंद्र आजाद स्वाधीनता सेनानी मंच के संयोजक मदन परमालिया कहते हैं, आजादी के लिए अगर एक व्यक्ति ने भी जान दी है तो उसका महत्व कम नहीं होता। उन्होंने बताया कि इंदौर में जैसे आजादी का जुनून सिर चढक़र बोल रहा था। इसके साथ ही जबलपुर, नरसिंहपुर, धार, छतरपुर, बैतूल, रीवा, रायपुर (छत्तीसगढ़ की राजधानी), उज्जैन और रायसेन जिलों से भी बड़ी संख्या में लोगों ने जान की बाजी लगा दी।