पत्नीं मनोरमां देहि नोवृत्तानुसारिणी।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवा।। सावन का महीना दांपत्य जीवन के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। भगवान शिव के साथ ही मंगला गौरी यानी माता पार्वती की पूजा का भी विशेष महत्व है। कुंवारे लडक़ों को सावन के महीने में रोजाना कम से कम 5 माला इस मंत्र का जप करना चाहिए। यदि स्वयं संभव न हो तो किसी साधु-संत से भी करवा सकते हैं। सावन से शुरू करके विवाह संपन्न होने तक एक माला जप तो स्वयं भी करना चाहिए।
क्लीं विश्वावसुर्नाम गन्धर्व: कन्यानामधिपतिं लभामि।
देवदत्तां कन्यां सुरूपां सालांकारा तस्मै विश्वावसवे स्वाहा।। अगर अभी तक आपकी जीवनसंगिनी की तलाश पूरी नहीं हुई है तो सावन में इस मंत्र का रोजाना जप करके आप एक सुंदर पत्नी प्राप्त कर सकते हैं। मंत्रोच्चारण करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को मिष्ठान से भोग लगाकर पुष्प अर्पित करें। भोग को प्रसाद के रूप में स्वयं भी ग्रहण करें। भोले बाबा आपकी मनोकामना जल्द पूरी करेंगे।
ऊँ ह्रीं गौर्ये नम:। हे गौरी शंकर अर्धागिंनी यथा त्वं शंकर प्रिया।। जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा है उन्हें अक्षय तृतीया, श्रावण मास में, दीपावली, वसंत और नवरात्र में इस मंत्र का जाप आरंभ कर देना चाहिए और नियमित रूप से करना चाहिए। कम से कम 51 हजार या फिर सवा लाख की संख्या में इस मंत्र का जप पूरा करना चाहिए। सावन में शिव-पार्वती के मंदिर में धूप दीप जलाकर पीले और लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए। साथ में प्रार्थना करनी चाहिए- हे गौरी जिस प्रकार आप भगवान शंकर की प्रिया हैं, उनकी अर्धांगिनी हैं, उसी प्रकार हे माता कल्याणी मुझको दुर्लभ वर प्रदान करो।