संपत्ति की कीमतों में हर साल वृद्धि होती है। उसके लिए जिला पंजीयक विभाग का महकमा सर्वे करके रिपोर्ट तैयार करता है। उस पर जिला मूल्यांकन समिति मुहर लगाती है। बाद में सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद अप्रैल से वह गाइड लाइन लागू हो जाती है। बहुत कम ऐसा होता है जब गाइड लाइन की कीमत कम होती है। २०१९-२० की नई गाइड लाइन बनाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसको लेकर जिला मूल्यांकन समिति की बैठक बुलाई जाने की तैयारी है।
सीएम ने कहा था, तीन साल नहीं बढ़ाएंगे
इधर, कुछ क्षेत्रों में आई तेजी की वजह से वहां की गाइड लाइन बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जाएगा, इसकी भनक लगने के बाद जिला पंजीयन अभिभाषक संघ के अध्यक्ष प्रमोद द्विवेदी, श्रीकृष्ण वर्मा, प्रकाश उपाध्याय व सतनाम छाबड़ा ने कल रजिस्ट्रार बालकृष्ण मोरे से मुलाकात की। चर्चा के दौरान उनका कहना था कि जब उप समिति की बैठक नहीं हुई तो जिला मूल्यांकन समिति की बैठक कैसे हो सकती है।
लगातार खबर चल रही है कि कुछ क्षेत्रों में गाइड लाइन बढ़ाई जाएगी। अभिभाषकों का कहना था कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने वचन पत्र में वादा किया था कि तीन साल तक कोई गाइड लाइन नहीं बढ़ेगी। बढ़ाने का विचार करने से पहले एक बार सरकार से उसकी अनुमति ली जाए। सरकार की मंशा के विपरीत काम किया गया तो हम शिकायत करेंगे। एक ने तो यहां तक कह दिया कि गाइड लाइन को लेकर बेवजह की बयानबाजी भी नहीं की जाना चाहिए।
जब रेट बढ़ सकते हैं तो कम क्यों नहीं?
चर्चा के दौरान द्विवेदी ने कहा कि संपदा सॉफ्टवेयर में कई खामियां हैं, जिन्हें दूर करना अभी भी आवश्यक है। अधिक गाइड लाइन से रजिस्ट्री तो हो सकती है, लेकिन भाव कम होते हैं तो नहीं की जा सकती है। इसे सुधारा जाना चाहिए। गौरतलब है कि इंदौर के वकील २०१६ से संपदा सॉफ्टवेयर की खामियों को उजागर करते आ रहे हैं। इसके बावजूद कोई बदलाव नहीं किया गया।
चर्चा के दौरान द्विवेदी ने कहा कि संपदा सॉफ्टवेयर में कई खामियां हैं, जिन्हें दूर करना अभी भी आवश्यक है। अधिक गाइड लाइन से रजिस्ट्री तो हो सकती है, लेकिन भाव कम होते हैं तो नहीं की जा सकती है। इसे सुधारा जाना चाहिए। गौरतलब है कि इंदौर के वकील २०१६ से संपदा सॉफ्टवेयर की खामियों को उजागर करते आ रहे हैं। इसके बावजूद कोई बदलाव नहीं किया गया।