must read : MP में बारिश का रेड अलर्ट, खतरे के निशान पर नर्मदा, सरदार सरोवर के 22 गेट खोले, गांवो में घुसा पानी चालान को लेकर होने वाले विवाद और भ्रष्टाचार को लेकर लगने वाले आरोपों के कारण अफसर काफी समय से आरएलवीडी कैमरों से बनने वाले ई-चालान के साथ ही चेकिंग के दौरान बनने वाले चालानों के ऑनलाइन भुगतान पर जोर दे रहे थे। हाल में पुलिस मुख्यालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। शासन के शुल्कों का भुगतान ट्रेजरी के खाते में होता है, ट्रैफिक पुलिस के चालान भी ट्रेजरी के अकाउंट में ही भरे जा सकेंगे।
ट्रैफिक एएसपी महेंद्र जैन ने इसे लेकर अधिकृत भारतीय स्टेट बैंक के अफसरों के साथ बैठक कर अभी 40 पीओएस (पाइंट ऑफ सेल) मशीनों की मांग की है। मशीनें मिलने के बाद इन्हें चालान बनाने वाले अधिकारियों को आवंटित किया जाएगा। चालान की राशि पीओएस मशीन के जरिए भुगतान होते ही सीधे ट्रेजरी में ट्रैफिक पुलिस के अकाउंट में जमा हो जाएगी।
एसएमएस व वाइस कॉल के जरिए दे रहे चालान की जानकारी ट्रैफिक पुलिस ने ई चालान की वसूली बढ़ाने के लिए कॉल सेंटर भी शुरू दिया है। जिनके ई-चालान बनते हैं, उनके वाहन के नंबर के आधार पर मालिक का पता व मोबाइल नंबर भी आरटीओ से हासिल किया जाता है। इसके बाद कॉल सेंटर में तैनात कर्मचारी कॉल कर चालान बनने की सूचना वाहन मालिक को दे रहे हैं। हर दिन 600 लोगों को फोन किए जा रहे है, इसके बाद कम्प्यूटर जनरेटेड वाइस कॉल भेजकर एक सप्ताह मेें चालान की राशि भरने की हिदायत की जाती है। ई चालान की वसूली मात्र 11 प्रतिशत तक सिमट गई थी। एडीजी वरुण कपूर के निर्देश ट्रैफिक पुलिस ने नई व्यवस्था चालू की है।