– इन यंत्रों से दिया यह रूप
गेहलोत ने गणेशजी की प्रतिमा बनाने के लिए अपने हर साल आने वाले मित्रों से चर्चा की। इस बार उन्हेंाने संदेश देना चाहा की संगीत वह भाषा है जिसे पुरी दुनिया समझती है। इन्होंने सिंहासन के लिए पिपड़ी, हाथ के लिए चंवर से, मुंह और कान के लिए छोटे ताशे, दांत के लिए शहनाई, बड़े ताशे से पेट, डमरू झांझर से धोती, तबले से घुटने, ढोलक से पैर, रिकार्डिंग फ्लूयट से मूषक और घुंघरू से पंजे का निर्माण किया है। गणेश जी के एक हाथ में वीणा और एक हाथ में झुऩझुऩा पकड़ाया गया है। खासबात है की इसमें लगे कई यंत्र जैसे शहनाई, वीणा, रिकार्डिंग फ्ल्यूट, पिपड़ी ये एसे यंत्र है जो अब कम ही देखने को मिलते हैं।
– खजराना गणेश के रूप में होते हैं विराजित
गेहलोत भले ही किसी भी संसाधनों से प्रतिमा का निर्माण करते हों, लेकिन उसकी स्थापना गणेशजी के रूप में ही होती है। वे अपनी पत्नी चंदा गेहलोत, बेटे श्रीधर गेहलोत और सौरभ गेहलोत के साथ राखी पर विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर जाते हैं। यहां भगवान गणेश को निमंत्रण देते हैं की प्रभु रिद्धी सिद्धी के साथ घर पधारिए। इसके बाद प्रतिमा का निर्माण थीम के हिसाब से करना शुरू कर देते हैं। लगभग १५ दिन में प्रतिमा निर्माण लेती है। पिछले 15 सालों से चले आ रहे इस प्रकल्प में अब हर साल नए नए लोग जुड़ते जा रहे हैं। वर्तमान में संगीत के यंत्रों को दिलवाने में भी इन्होंने ही मदद की। यहां एसे संसाधनों से प्रतिमा का निर्माण हुआ है जिन्हे लोगों ने विरासत के रूप में रखा है।