डीसीपी जोन-3 धमेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया, 56 दुकान पर आने लोगों के लिए निर्धारित पार्किँग नहीं है। ऐसे में लोग एमजी रोड के किनारे अपने वाहन खड़े कर देते है। यहां से वाहन चोरी की वारदात को अंकुश लगाने के लिए ऑपरेशन ग्राउंड पुलिसिंग के तहत टीआइ कमलेश शर्मा की टीम सिविल ड्रेस में तैनात थी। जो चोरी के स्थान पर लगे सीसीटीवी कैमरे पर लगातार नजर बनाए रखी थी। बुधवार को टीम के प्रधान आरक्षक सुरेंद्र सिंह चौहान ने 56 दुकान के समीप चेकिंग के दौरान देखा। चौहान ने फुटेज में कैद वाहन चोरी करने वाले की तस्वीर से संदिग्ध से मिलती जुलती देखी। इसके बाद उसे पकड़ा तो पता चला वह चोरी के वाहन पर घुम रहा है। पूछताछ में आरोपी ने अपना नाम दीपक 35 पिता सुधाकर भावे निवासी गोमटगिरी बताया। टीम ने उससे मिली जानकारी के आधार पर आरोपी यासिन उर्फ लालू पिता रहीम खान निवासी खंडवा को पकड़ा। बाद में पता चला कि उनके तीन साथी आरोपी वसीम पिता वहीद खान, समीर पिता करीम खान और शेख अहमद पिता बाबू खां निवासी खंडवा को पकड़ा। सभी ने पूछताछ में कबूला की उनके द्वारा 56 दुकान व शहर के अन्य हिस्सों से करीब 40 वाहन चोरी किए है।
अधिकारियों ने आरोपी से वाहन चोरी का लिया डेमो डीसीपी भदौरिया, एडीशनल डीसीपी राजेश रघुवंशी, टीआइ शर्मा ने आरोपी दीपक को थाना परिसर में बुलाया। आरोपी से जब्त चाबी को पहले अधिकारियों ने डेमो के रूप में इस्तेमाल किया। तो पता चला उससे कई वाहन के ताले पलभर में खुल जाते है। फिर आरोपी को वहां बुलाया गया। उसने भी दोपहिया का लॉक खोलकर बता दिया। आरोपी ने बताया कि वह ऐसे वाहन टारगेट करते है जिनके लॉक पुराने हो चुके है। अधिक उपयोग से लॉक के उपरी हिस्से खुला रह जाता है। ऐसे लॉक को खोलने के लिए उसने जुगाड़ की मास्टर चाबी बनवाई है। उक्त चाबी से वह ऐसे लॉक आसानी से खोल देता है। उसने अधिकारियों से पूछताछ में 15 से 20 दोपहिया चोरी करना कबूला। उसने बताया कि वह फूड डिलेवरी कंपनी में काम करता था।
5 से 7 हजार में बेच देते
डीसीपी ने बताया , आरोपी इतने शातिर है की वे वाहन चोरी के बाद उसे 5 से 7 हजार में अन्य को बेच देते थे। टीम ने आरोपियों की निशानदेही से वाहन जब्त किए है।
कैमरे लगे होने की नहीं थी जानकारी, इसलिए उड़ाते रहे वाहन आरोपियों को पता नहीं था की 56 दुकान पर सुरक्षा की दृष्टि से कैमरे लगे है। पूर्व में भी उनके द्वारा वाहन चोरी की गई। पांच आरोपी दो बाइक पर सवार होकर आते। यहां मास्टर चाबी की मदद से तीन दोपहिया का लॉक खोलते और फिर वाहन लेकर चले जाते।