दरअसल, गांवों में पानी तो उपलब्ध होता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और शुध्दता नहीं होती है। यही पानी बीमारियों का कारण भी बनता है। पंचायत की सरपंच अनुराधा जोशी का कहना है, पंचायत काफी दिनों से लोगों को शुध्द पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए सोच रही थी। प्लांट लगाने में काफी खर्च आ रहा था। पिछले दिनों चेन्नई जाना हुआ, वहां पर देखा कि, लोग एक मशीन में सिक्का डालते है, उसमें नल से पानी आना शुरू हो जाता है। अपनी जरूरत पुरता पानी केन में ले कर चलते बनते है। मशीन के बारे में पूरी जानकारी ली तो बताया गया, यह जल एटीएम है। इससे शुध्द पेयजल लोगों को उपलब्ध करवाया जाता है। इसकी कीमत भी ५०-६० पैसे प्रति लीटर होती है। हमारे गांव में तो १५ से २० लीटर की केन ३० रुपए में मिल रही है। चेन्नई से लौटने के बाद मशीन के बारे में काफी खोजबीन की। लोगोंं से बातचीत की, लेकिन छोटे गांव में कोई लगाने को तैयार नहीं हो रहा था। नासिक की जीवनधारा कंपनी मिली, उनसे चर्चा की, लेकिन वह भी पहले तो तैयार नहीं हुए, कहने लगे छोटे गांवों में नहीं लगाते हैं। उन्हें बताया गया, गांव की आबादी २५ हजार के आसपास है, अधिकांश लोग शुध्द पेयजल चाहते हैं। सर्वे हुआ, पीपीपी मॉडल पर इसे लगाया गया। एक पंचायत कार्यालय के समीप स्थाई प्लांट है, दूसरा चलित है। जिससे डोअर-टू-डोअर पेयजल पहुंचाया जा रहा है। यह व्यवस्था पहले तो एक प्लांट पर प्रयोग के तौर पर शुरू की गई। ९ अक्टूबर से चलित मशीन भी शुरू कर दी गई है। इसका बहुत फायदा लोग ले रहे हैं। उन्होंने बताया, कंपनी इससे होने वाले प्रॉफिट का १० प्रतिशत पंचायत को देगी।