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इंदौर

कलेक्टर साहब आपसे ज्यादा हमें बच्चों की चिंता

बच्चों की सुरक्षा की कीमत पर कोई समझौता नहीं होगा : कलेक्टर, आप से ज्यादा बच्चों की चिंता हमें, पर कुछ समय तो दीजिए : स्कूल संचालक

इंदौरFeb 03, 2018 / 09:29 pm

amit mandloi

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जागरूक पोर्टल को लेकर आयोजित कार्यशाला में स्कूल-कॉलेज संचालक और प्राचार्यो ने रखे अपने सुझाव
12 फरवरी तक सभी को शपथ पत्र पोर्टल पर अपडेट करने के साथ कलेक्टर कार्यालय में भी देना होगा

इंदौर.
दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से चार मासूम सहित पांच लोगों की जान जाने के बाद लगातार स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रदेश स्तर पर तमाम प्रयास किए जा रहे है। बस संचालन में नियमों की अनदेखी न हो इसलिए जिला प्रशासन द्वारा शहर के सभी स्कूल और कॉलेज संचालकों के सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करने के लिए शपथ पत्र भरवाएं जा रहे हैं। १२ फरवरी तक बस संचालन से जुड़े सभी नियमों का पालन कर शपथ पत्र जिला प्रशासन के जागरुरक इंदौर पोर्टल पर अपलोड करना है इसके साथ ही उसकी प्रति कलेक्टर कार्यालय में जमा भी करना है। शपथ पत्र और पोर्टल के स्कूल और कॉलेज संचालकों में जागरूकता के लिए शनिवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला और पुलिस प्रशासन सहित आरटीओ की उपस्थिति में स्कूल और कॉलेज संचालकों ने बरती जा रही सख्ती पर अपनी परेशानियांं साझा की। ब्रिलियंट कनवेंशन सेंटर में आयोजित सेमिनार में कई बिंदुओं पर स्कूल संचालकों ने अफसरों की खिंचाई भी की। स्पीड गवर्नर, सीट बेल्ट, २० साल पुरानी बसें चलाने को लेकर जारी आदेशो के पालन में रियायत मांगने पर कलेक्टर ने साफ कहा बच्चों की सुरक्षा की कीमत पर कोई समझौता नहीं होगा। जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वह उसे स्कूल-कॉलेज संचालकों को स्वीकार करना चाहिए, जो भी व्यवहारिक दिक्कते आ रही हैं उनका मिलकर निराकरण किया जाएगा। कुछ स्कूल संचालकों का कहना था, शपथ पत्र में स्कूल संचालक, प्रिंसिपल और ट्रांसपोर्ट मैनेजर को लापरवाह के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है, हमारा कहना है किय यदि शहर में कोई घटना हो जाती है तो क्या कलेक्टर-एसपी को जेल में डाल दिया जाता है। करीब सवा दो घंटे तक चली कार्यशाल में ७०० स्कूल संचालक, प्रिंसिपल, ट्रांसपोट मैनेजरों ने हिस्सा लिया और अपने विचार रखे।
कुछ यूं उठे शपथ पत्र के बिंदुओं पर सवाल
१. स्कूल बसों में सीट बेल्ट अनिवार्य कर दिए गए हैं। १२ फरवरी के पहले सभी स्कूलों को अपनी-अपनी बसों में यह लगाता आनिवार्य है। एक बस में सीट बेल्ट लगने में कम से कम तीन दिन लगेंगे, अब कलेक्टर बताएं शहर में चल रही करीब ३ हजार बसों में ८ दिन में कैसे लगेंगे सीट बेल्ट।
२. १५ साल पुरानी स्कूल बसों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, एक दिम में ५०-६० किलोमीटर चलने वाली बसों को प्रतिदिन सैकड़ों किलोमीटर चलने वाली नीजि बसों से कैसे तुलना की जा सकती है, इसलिए नियम बदले जाएं।
३. क्या दुर्घटना की सारी जिम्मेदारी स्कूल वालों की है, खराब सडक़े, अव्यवस्थित यातायात, के लिए जिम्मेदारों पर कब होगी कारवाई
४. यदि स्कूल बस चलाने वाला बस ड्राइवर गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करेगा तो उसमें प्रिंसिपल कैसे जिम्मेदार होगा
५. स्थानीय प्रशासन ४० किमी की रफ्तार के आदेश दे रही है लेकिन नियम तो ६० किमी की रफ्तार का है, क्या नया नोटिफिकेशन किया गया है
६. सीबीएसई स्कूलों में काफी फीस वसूली जाती है वे इन खर्चों को पूरा कर सकते हैं, एमपी बोर्ड के स्कूलों के लिए क्या जिला प्रशासन लोक परिवहन की व्यवस्था करेगा
७. एआरएआई द्वारा तय किए गए १० डीलरों से स्पीड गवर्नर लिए जा सकते हैं, जबकि स्थानीय आरटीओं ने चार तय किए हैं, अब स्कूल किस आदेश का पालन करें
८. क्या मैजिक और छोटे वाहनों में भी नियमों के मुताबिक २ कैमरे और जीपीएस लगाना होगा
९. कॉलेज की बसों में महिला परिचालक रखना अनिवार्य है

१०. बच्चों को छोडऩे के बाद जब वापस लौटती है तो उसमें ड्राइवर और कनडेक्टर के साथ महिला परिचालक अकेली होती, तो उसकी सुरक्षा की क्या व्यवस्था होगा
कलेक्टर का जवाब
सुरक्षा के लिए यह सारे कदम उठाए जा रहे हैं। इन्हें सकारात्मक तरीके से लें। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार यह शपथ पत्र बना है। यदि कुच व्यवहारिक परेशानी आ रही हैं तो उनके लिए रास्ता निकाला जाएगा। जरूरत हुई थी १२ फरवरी की तारीख भी बदलेंगे।

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