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इंदौर

जागरूकता से कम किए जा सकते हैं टीबी के मरीज

– विश्व क्षय दिवस आज

इंदौरMar 24, 2019 / 11:26 am

Lakhan Sharma

health

World Mental Health Day: मानसिक विकार को नजर अंदाज करने से हो सकती है ये परेशानियां

इंदौर।
24 मार्च को दुनियाभर में विश्व क्षय दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्षय रोग, टीबी रोग, कॉक्स डिसीज, यक्षमा आदि कई नामो से पिछले कई वर्षों से भारत वर्ष एवं विश्व में व्यापक रूप से यह बीमारी विद्यमान है। जिसमें हर वर्ष 30 लाख मौतें टीबी के कारण होती है। इसको लेकर अगर थोड़ा सा लोगों को जागरूक किया जाए तो हम इससे बच सकते हैं और लोगों को बचा सकते हैं। पिछले वर्ष भी भारत में करीब पौने तीन लाख मौतों का आंकड़ा इसी बीमारी का था। पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार, राज्य सरकार और संस्थाओं के सहयोग से मौतों में कमी आई है लेकिन अब भी जागरूकता की जरूरत है।
जिला क्षय अधिकारी डॉ. विजय छजलानी बताते हैं की टीबी का रोग सिर्फ जानलेवा बीमारी ही नहीं है, बल्कि इलाज में विलम्ब के कारण यह शरीर के महत्वपूर्ण अंग फेफड़ों को नुकसान पहुंचाकर पूरे शरीर को कमजोर करता है तथा बीमारी ठीक होने के बाबजूद उस व्यक्ति की कार्यक्षमता को कम करता है। विश्व में प्रतिवर्ष 94 लाख लोग टीबी से ग्रसित होते है, जिनमें से करीब 30 लाख लोगों की मौत टीबी के कारण हो जाती है । टीबी की बीमारी का निदान बहुत आसान है, इसमें रेसिस्टेंस वाले मुद्दे को जानना कोई इतना मुश्किल कार्य नहीं है। आज भी जो परेशानी है वो है आम व्यक्ति की अज्ञानता। जो कि इस बीमारी को जीतने में सबसे बड़ी रुकावट है। इस वर्ष विश्व क्षय दिवस पर हम इट्स टाईम टू एंड टीबी नारे के साथ जागरूकता फैलाने में लगे हैं। डॉ. छजलानी ने बताया की वर्ष 2018 में शासन द्वारा चलाई गई निक्षय पोषण योजना से 10 हजार 459 मरीजों को एक करोड़ 80 लाख 41 हजार 500 रूपए का भुगतान किया गया। प्रायवेट डॉक्टरों को भी टीबी के मरीजों की जानकारी देने पर ५०० रूपए का भुगतान किया जा रहा है। जिसके चलते 2018 में जिले के 62 डॉक्टरों को 12 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। वर्ष 2019 में अब तक 1619 मरीज शासकीय संस्थाओं में रजिस्टर्ड किए गए हैं वहीं 837 मरीज प्रायवेट डॉक्टर्स के सामने आए हैं। पिछले वर्ष से एमडीआर मरीजों को बेडाक्यूलिन दवाई दी जा रही है। जिसमें एक मरीज पर १३ लाख रूपए का खर्च सरकार कर रही है। इंदौर में 18 मरीजों को यह दवा दी जा चुकी है। डॉ. छजलानी का कहना है की हम लगातार इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं।

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