कारोबारियों से नही ली गई राय कैट ने रोष जताते हुए कहा की इतना बड़ा फैसला लेने से पहले दिल्ली सरकार ने दिल्ली के व्यापारियों से कोई सलाह मशविरा तक नहीं किया। कैट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री से उक्त अधिसूचना को वापिस लेने की मांग की है जिससे दिल्ली के रोज़गार पर इसका बुरा असर न पड़े। कैट ने इस मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र भेज कर दिल्ली के व्यापारियों की नाराजगी से अवगत कराते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली के व्यापारियों और नियोक्ताओं को विश्वास में लिए बिना इस तरह का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और इस तरह के एकतरफा निर्णय से व्यापारियों पर बहुत अधिक आर्थिक दबाव पड़ेगा क्योंकि दिल्ली में पहले से ही गत एक वर्ष से बाज़ारों में बेहद मंदी है और काम काज बेहद कम है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल एवं कैट के दिल्ली प्रभारी श्री रमेश खन्ना ने कहा कि अधिसूचना के माध्यम से दिल्ली सरकार ने अकुशल श्रम के लिए न्यूनतम मजदूरी 1,4,842-00 रुपये प्रति माह तय की है, जो दिल्ली में व्यापारियों और अन्य नियोक्ताओं द्वारा लोगों को रोज़गार मुहैय्या कराने का एक बड़ा हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि अकुशल मजदूर को रोजगार देते समय व्यापारी नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता या कौशल पर विचार नहीं करते हैं और रोजगार देते हैं और इसलिए दिल्ली में व्यवसाय समुदाय उनके रोजगार का प्रमुख और सबसे अच्छा स्रोत है।
खंडेलवाल ने खेद व्यक्त करते हुए कहा की उक्त न्यूनतम मजदूरी तय करते समय दिल्ली सरकार ने व्यापारियों के साथ कोई परामर्श नहीं किया और ऐसा प्रतीत होता है कि न ही दिल्ली के व्यापार पर इस वृद्धि के प्रभाव का आकलन किया गया है। यह भी खेद है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान, दिल्ली सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जो दिल्ली में व्यापार और वाणिज्य की वृद्धि सुनिश्चित के ! दिल्ली में व्यापार के वर्तमान हालात काफी चिंताजनक है।
खंडेलवाल ने कहा की दिल्ली देश का सांसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र हैं जो पहले से ही एक अभूतपूर्व मंदी के दौर से गुजर रहा है और व्यापारियों को व्यवसाय में चलाना मुश्किल हो रहा है और उस पर से दिल्ली सरकार द्वारा की गई न्यूनतम मजदूरी में भारी बढ़ोतरी दिल्ली के व्यापारियों पर अनावश्यक भारी वित्तीय भार है।