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अब अडानी की हुर्इ रुचि सोया, मात्र 300 करोड़ रुपए से हार गए बाबा रामदेव

ब्लूमर्ग की रिपोर्ट के अनुसार कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ने यह फैसला 24 घंटे की वोटिंग प्रक्रिया खत्म होने के बाद लिया। जिसमें 96 फीसदी से ज्यादा मेंबर्स ने रुचि सोया पर अडानी के प्लान को हरी झंडी दिखार्इ।

Aug 24, 2018 / 03:12 pm

Saurabh Sharma

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अब अडानी की हुर्इ रुचि सोया, मात्र 300 करोड़ रुपए से हार गए बाबा रामदेव

नर्इ दिल्ली। रुचि सोया के अधिग्रहण को लेकर चल रही सबसे बड़ी लड़ार्इ में देश के बड़े आैद्योगिक घराने अडानी ने बाबा रामदेव की पतंजलि को हरा दिया है। अब आॅयल बनाने वाली कंपनी रुचि सोया पर अधिकार अडानी ग्रुप का होगा। अडानी ने पतंजलि को मात्र 300 करोड़ रुपए से मात दे दी है। आपको बता दें कि दोनों ही रुचि सोया के अधिग्रहण को लेकर जंग लड़ रहे थे। दोनों में कर्इ बार कर्अ तरह के मतभेद भी दिखार्इ दिए। अंत में अडानी ने बाजी मारी।

सीआेसी ने 24 घंटे की वोटिंग के बाद लिया निर्णय
ब्लूमर्ग की रिपोर्ट के अनुसार कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ने यह फैसला 24 घंटे की वोटिंग प्रक्रिया खत्म होने के बाद लिया। जिसमें 96 फीसदी से ज्यादा मेंबर्स ने रुचि सोया पर अडानी के प्लान को हरी झंडी दिखार्इ। अब इस पूरी बिड प्रक्रिया को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के सामने रखा जाएगा। ताकि इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उसके बाद अडानी विल्मर का रुचि सोया पर पूरा कंट्रोल हो जाएगा।

अडानी की सबसे बड़ी बोली
अडानी विल्मर ने इस बिड में सबसे बड़ी बोली लगार्इ थी। 6 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाकर अडानी सबसे बड़ी बिडर (एच1) के तौर पर सामने आई थी। जबकि इस बिड में बाबा रामदेव की पतंजलि भी शामिल थी। उनकी बोली 5700 करोड़ रुपए थी। मात्र 300 करोड़ रुपए से पतंजलि पीछे रह गर्इ। जिसके बाद पतंजलि ने अडानी के एच1 पर आने से बिडिंग प्रोसेस में अडानी ग्रुप की एलिजिबिलिटी पर ही सवाल उठा दिए थे। आैर इस पर रुचि सोया के रिजॉल्युशन प्रोफेशनल से जवाब तक मांग लिया था।

कर्ज में डूबी हुर्इ है रुचि सोया
इन्सॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स का सामना कर रही इंदौर की रुचि सोया पर लगभग 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसे में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का सबसे ज्यादा 1822 करोड़ रुपए फंसा है। कंपनी के कई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स और न्यूट्रिला, महाकोष, सनरिच, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड सहित कई लीडिंग ब्रांड हैं। अब रुचि सोया के पास इसे बेचने के अलावा कोर्इ दूसरा रास्ता नहीं था।

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