आउटलेट्स बंद होने की ये है वजह
आपको बता दें कि सीपीआरएल मैक्डॉनल्ड और बख्शी की 50-50 फीसदी की बराबर हिस्सेदारी वाला ज्वाइंट वेंचर है। यही कंपनी उत्तर और पूर्वी उत्तर भारत के इलाकों में आउटलेट को ऑपरेट करता है। 21 अगस्त को ही इस अमरकी बर्गर एंड फ्राइज चेन मैक्डॉनल्ड ने CPRL के साथ अपने को रद्द कर दिया था। मैक्डॉनल्ड ने सीपीआरएल को हिदायत दिया था कि 15 दिनों के अंदर वो मैक्डॉनल्ड के ब्रैंडिंग और इंटेलेक्चुअल प्रॉपटी का इस्तेमाल बंद कर दें।
बर्गर खाने के लिए नहीं मिलेगा
मैकडोनाल्ड के आउटलेट्स बंद होने से आपको अपना पसंदीदा महराजा या आलू टिक्की बर्गर खाने के लिए नहीं मिलेगा। विवाद के चलते इससे पहले जून में कंपनी ने दिल्ली में अपने 43 आउटलेट्स बंद किए थे। सीआपीएल के पास 21 साल का लाइसेंस था, जिसको उसने मैकडोनाल्ड से रिन्यु नहीं किया था।
नया सहयोगी तलाश रहा मैकडोनाल्ड
कंपनी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मैकडी पूर्वी और उत्तर भारत के लिए एक सही साझेदार ढूंढने के लिए सक्रिय प्रयास कर रही है, ताकि कारोबार और मैकडोनाल्ड ब्रांड को दोबारा से स्थापित किया जा सके। कंपनी ने लाइसेंस साझेदार के लिए मानक तय कर लिए हैं और कुछ ही महीनों में नए नाम की घोषणा कर दी जाएगी।