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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद DoT ने टेलीकॉम कंपनियों को बकाया रकम चुकाने के दिए आदेश

एयरटेल ने 20 फरवरी तक पहली किस्त और सुनवाई से पहले पूरी रकम चुकाने का दिया आश्वासन
सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर रकम ना चुकाने को लेकर टेलीकॉम कंपनियों और सरकारको लगाई थी फटकार

नई दिल्लीFeb 15, 2020 / 02:50 pm

Saurabh Sharma

Seupreme Court

DoT orders telecom companies to repay dues after Supreme Court rebuke

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की लताड़ के बाद शुक्रवार रात को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर की रकम जमा करने के आदेश दे दिए। वैसे डिपार्टमेंट ने कंपनियों को बीती शुक्रवार रात 11.59 बजे तक का वक्त दिया था, लेकिन एयरटेल की ओर से खत लिखकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और अगली सुनवाई होने से पहले पूरी रकम जमा कराने का आश्वासन दिया है। वहीं वोडाफोन आइडिया की ओर से मंथन चल रहा है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के ऑर्डर को कैसे पूरा किया जाए? आपको बता दें कि दोनों ही कंपनियां काफी घाटे में चल रह है। टेलीकॉम कंपनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट से समय भी मांगा था, जिसे कोर्ट ने देने से मना कर दिया।

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एयरटेल की ओर से दिया गया जवाब
सुप्रीम कोर्ट और उसके टेलीकॉम डिपार्टमेंट के आदेश के आद भारती एयरटेल ने एजीआर मामले में 20 फरवरी तक 10,000 करोड़ रुपए चुकाने को कहा है। कंपनी ने दूरसंचार विभाग के सदस्य (फाइनेंस) को पत्र लिखकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई से पहले बाकी रकम भी चुका दी जाएगी। एजीआर के तहत एयरटेल को 35,586 करोड़ रुपए चुकाने हैं। सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर 2019 के आदेश के मुताबिक कंपनियों को 23 जनवरी तक एजीआर बकाए का भुगतान कर देना था। कुल कर्ज की बात करें तो 15 कंपनियों पर एजीआर मद में 1.47 लाख करोड़ रुपए का बकाया है। इसमें से 92,642 करोड़ रुपए का बकाया लाइसेंस शुल्क के रूप में है। 55,054 करोड़ रुपए का बकाया स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में है।

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मंत्री को नहीं थी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि एक सरकारी अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के फैसने को कैसे पलट सकता है? फिर तो देश से सुप्रीम कोर्ट को ही बंद कर देना चाहिए। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा बयान इसलिए दिया क्योंकि टेलीकॉम डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने आदेश दिया था कि कंपनियों पर बकाया रकम चुकाने के लिए ज्यादा जोर ना दिया जाए। ना ही उनपर कोई दंडात्मक कार्रवाई की जाए। ताज्जुब की बात को ये है कि इस मामले की जानकारी टेलीकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद को भी नहीं थी। बकाए के भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और सचिव की सहमति के बिना जारी किया गया था। अब सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई की बात कर रही है।

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