कंपनी के विमानों पर पड़ेगा असर
डीजीसीए के इस कदम के बाद जेट का इंजीनियरिंग विभाग अब कामकाज नहीं कर सकेगा। डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जेट एयरवेज विमानों के रखरखाव (मेंटेनेंस) से जुड़े न्यूनतम मापदंडों को पूरा नहीं कर रही थी इसलिए यह कार्रवाई की गई है। डीजीसीए द्वारा उठाए गए इस कदम का सीधा असर कंपनी के विमानों पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि विमानों को उड़ान न भरने के बावजूद मेंटेनेंस की जरूरत होती है। जेट एयरवेज में लगभग 500 इंजीनियर हैं, जबकि उसके पास अब मात्र 14 विमान बचे हैं। लीज पर लिए अन्य विमानों का किराया न चुका पाने के कारण कंपनी उन्हें बेड़े से हटा चुकी है।
उधर जेट के शेयरों की ट्रेडिंग पर पाबंदी को लेकर एनएसई का कहना है कि कंपनी अपने बारे में विभिन्न अफवाहों का जवाब देने में नाकाम रही है। जेट का जवाब स्पष्ट और संतोषजनक नहीं था। यह फैसला एक्सचेंजों ने संयुक्त रूप से लिया है और यह 28 जून से प्रभावी हो जाएगा।
एनसीएलटी में सुनवाई 20 जून तक स्थगित
बता दें कि जेट एयरवेज के दिवाला एवं शोधन अक्षमता से जुड़े मामले की सुनवाई राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने 20 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। जेट को एनसीएलटी में घसीटने वाले दो कंपनियों शमन व्हील्स और गग्गर एंटरप्राइजेज को न्यायाधिकरण ने एयरलाइन को दोबारा कानूनी नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। न्यायाधिकरण ने दिवाला प्रक्रिया से जुड़ी इस याचिका को सुनवाई के लिए अब तक स्वीकार नहीं किया है। जेट पर शमन व्हील्स की 8.74 करोड़ रुपये और गग्गर एंटरप्राइजेज की 53 लाख रुपये की देनदारी है, जिसकी वसूली के लिए दोनों ने याचिका दायर की है।
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