भारत में हॉर्लिक्स की सबसे ज्यादा खपत
हॉर्लिक्स की ज्यादातर ब्रिकी भारत में होती है। हॉर्लिक्स और अन्य न्यूट्रीशन प्रॉडक्ट्स की कुल बिक्री 2017 में 5,065 करोड़ रुपए रही। इसमें से हॉर्लिक्स की लगभग 85-90 फीसदी बिक्री भारत में हुई। दिसंबर 2017 में जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर लिमिटेड में हॉर्लिक्स की हिस्सेदारी 43.16 फीसदी थी। जुलाई 2017 में जीएसके ने ब्रिटेन का हॉर्लिक्स बिजनेस बेचने की घोषणा की थी। जीएसके को उम्मीद है कि 2018 के आखिर तक भारतीय इकाई में फेरबदल की यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
धीमी हुई है कंपनी की ग्रोथ
मार्केट रिसर्च फर्म यूरोमीटर के अनुसार वर्ष 2017 में हॉर्लिक्स की हिस्सेदारी 42.8 फीसदी थी। कंपनी ने दिसंबर तक इसके वैल्यू शेयर 55.7 फीसदी होने का दावा किया था। पिछले कुछ सालों से भारत में कंपनी की ग्रोथ धीमी रही है। 31 मार्च 2017 को जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर का रेवेन्यू 2.6 फीसदी बढक़र 4,421 करोड़ रुपए दर्ज किया गया था। एक साल पहले इसका रेवेन्यू 4,309 करोड़ रुपए था।
150 साल पुराना है इतिहास
हॉर्लिक्स को 1873 में ब्रिटिश के दो भाइयों विलियम और जेम्स हॉर्लिक लेकर आए थे। दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद डाइट सप्लीमेंट के तौर पर इसे भारत लाया गया। जल्द ही यह लोकप्रियता बढ़ गई और यह मार्केट का नंबर वचन लीडर बन गया। भारत में इसके प्रमुख प्रतिद्वंदी कॉम्प्लैन, बॉर्नवीटा, बूस्ट आदि हैं। बूस्ट और वीवा जीएसके के ही उत्पाद हैं। वहीं कॉम्प्लैन को जीएसके ने हेन्ज कंपनी को बेच दिया था।