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150 साल पुराने Horlicks को बेच रही है GSK, दूसरे विश्व युद्ध के बाद लाया गया था भारत

ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल ग्‍लैक्‍सोस्मिथलाइन न्‍यूट्रिशन प्रोडक्‍ट्स अपनी इंडियन कंज्‍यूमर हेल्‍थकेयर सब्सिडियरी में हिस्‍सेदारी कम कर सकती है।

Mar 28, 2018 / 03:22 pm

Saurabh Sharma

Horlicks

Horlicks India

नई दिल्ली। देश में आज भी बच्चों को दूध में मिलाकर जो सप्लीमेंट दिया जाता है उसमें हॉर्लिक्स का नाम सबसे ऊपर है। घर में बच्चों का दिन बिना हॉर्लिक्स के शुरू ही नहीं होता है। अगर आपको पता लग जाए कि अब यह कंपनी बिकने जा रही है तो आपको कैसया लगेगा। जी हां, ऐसा होने जा रहा है। ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल ग्‍लैक्‍सोस्मिथलाइन न्‍यूट्रिशन प्रोडक्‍ट्स अपनी इंडियन कंज्‍यूमर हेल्‍थकेयर सब्सिडियरी में हिस्‍सेदारी कम कर सकती है। कंपनी ऐसा इसलिए कर रही है ताकि वो ग्‍लोबल कंज्‍यूमर हेल्‍थकेयर जॉइंट वेंचर में नोवार्टिस की हिस्‍सेदारी खरीदने के लिए 13 अरब डॉलर का फंड जुटा सके। अभी तक इस डील की पूरी डिटेल्‍स पहीं आई हैं। इसलिए यह अभी साफ नहीं कहा जा सकता कि ग्‍लैक्‍सो अपनी भारतीय सब्सिडियरी जीएसके कंज्‍यूमर हेल्‍थकेयर लिमिटेड इंडिया में 72.5 फीसदी की अपनी हिस्‍सेदारी कम करेगी या नहीं।

भारत में हॉर्लिक्स की सबसे ज्यादा खपत
हॉर्लिक्‍स की ज्‍यादातर ब्रिकी भारत में होती है। हॉर्लिक्‍स और अन्‍य न्‍यूट्रीशन प्रॉडक्‍ट्स की कुल बिक्री 2017 में 5,065 करोड़ रुपए रही। इसमें से हॉर्लिक्‍स की लगभग 85-90 फीसदी बिक्री भारत में हुई। दिसंबर 2017 में जीएसके कंज्‍यूमर हेल्‍थकेयर लिमिटेड में हॉर्लिक्स की हिस्‍सेदारी 43.16 फीसदी थी। जुलाई 2017 में जीएसके ने ब्रिटेन का हॉर्लिक्‍स बिजनेस बेचने की घोषणा की थी। जीएसके को उम्‍मीद है कि 2018 के आखिर तक भारतीय इकाई में फेरबदल की यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

धीमी हुई है कंपनी की ग्रोथ
मार्केट रिसर्च फर्म यूरोमीटर के अनुसार वर्ष 2017 में हॉर्लिक्‍स की हिस्‍सेदारी 42.8 फीसदी थी। कंपनी ने दिसंबर तक इसके वैल्‍यू शेयर 55.7 फीसदी होने का दावा किया था। पिछले कुछ सालों से भारत में कंपनी की ग्रोथ धीमी रही है। 31 मार्च 2017 को जीएसके कंज्‍यूमर हेल्‍थकेयर का रेवेन्‍यू 2.6 फीसदी बढक़र 4,421 करोड़ रुपए दर्ज किया गया था। एक साल पहले इसका रेवेन्‍यू 4,309 करोड़ रुपए था।

150 साल पुराना है इतिहास
हॉ‍र्लिक्‍स को 1873 में ब्रिटिश के दो भाइयों विलियम और जेम्‍स हॉर्लिक लेकर आए थे। दूसरे विश्‍व युद्ध के खत्‍म होने के बाद डाइट सप्लीमेंट के तौर पर इसे भारत लाया गया। जल्‍द ही यह लोकप्रियता बढ़ गई और यह मार्केट का नंबर वचन लीडर बन गया। भारत में इसके प्रमुख प्रतिद्वंदी कॉम्‍प्‍लैन, बॉर्नवीटा, बूस्‍ट आदि हैं। बूस्‍ट और वीवा जीएसके के ही उत्पाद हैं। वहीं कॉम्‍प्‍लैन को जीएसके ने हेन्‍ज कंपनी को बेच दिया था।

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