माैजूदा जीएसटी असली जीएसटी नहीं
चिदंबरम ने कहा, “कुल मिलाकर परिणाम यह है कि आज जो हमारे पास है, वह एक बिल्कुल अलग प्रणाली है और यह असली जीएसटी नहीं है।” चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी में कई दरों, जिसमें 40 फीसदी तक की दर शामिल है, और दरों पर मनमाना उपकर लगाने से ‘जीएसटी का विचार विकृत हो गया है। उन्होंने कहा, “मझौले व्यापारिक फर्म, विशेष रूप से एसएमई (छोटे और मध्यम उद्यमों) पर असहनीय अनुपालन बोझ लगा दिया गया है, कर निर्धारिती को हर राज्य में एक महीने में तीन रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होती है, जहां वह व्यवसाय करता है। इसका मतलब है कि एक व्यापारी को पूरे भारत में व्यापार करने के लिए सालाना 1,000 से अधिक रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होती है।”
तैयार न होने के बावजूद भी देश पर थोपा गया जीएसटी
चिदंबरम ने कहा, “रिफंड में देरी से फर्मों की महत्वपूर्ण कार्यशील पूंजी बाधित हो गई है। व्यापक रूप से माना जाता है कि जीएसटी ने आम नागरिक पर कर के बोझ को बढ़ा दिया है।” उन्होंने कहा, “सच यह है कि जीएसटी के लिए देश तैयार नहीं हो पाया था, फिर भी यह व्यवस्था देश पर थोप दी गई।” कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि कर प्रशासन अप्रशिक्षित है। उन्होंने कहा, “जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का परीक्षण नहीं किया गया था। सच्चाई यह है कि जीएसटी फॉर्म-2 और जीएसटी फॉर्म-3 एक वर्ष बाद भी अधिसूचित नहीं हैं। प्रणाली को जीएसटी फॉर्म-1 और अस्थायी जीएसटी फॉर्म-3बी पर चलाया जा रहा है।”
जीएसटी पर अर्थव्यवस्था पर साकारात्मक प्रभाव नहीं
कांग्रेस नेता ने कहा, “इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि अभी तक जीएसटी ने आर्थिक वृद्धि पर सकरात्मक प्रभाव नहीं डाला।” उन्होंने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा में उद्योग मंत्री के बयान के मुताबिक, दोषपूर्ण डिजाइन और जल्दबाजी में कार्यान्वयन के कारण 2017-18 में उस राज्य में 50 हजार एसएमई इकाइयां बंद हो गईं और पांच लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी। चिदंबरम ने सरकार को पेट्रोलियम पदार्थो और बिजली को जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया।