सरकार ने तेल कंपनियों को किया सतर्क
गौरतलब है कि अमरीका ने भारत आैर चीन समेत कर्इ अन्य देशों से 4 नवंबर तक र्इरान से कच्चे तेल की खरीद को पूरी तरह से बंद करने को कहा है। हालांकि, अभी तक सरकार ने कोर्इ अंतिम फैसला नहीं किया है। इसके पहले अमरीका के बयान के बाद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा था कि, हम भारत के हित काे ध्यान में रखकर फैसला लेंगे। वहीं पेट्रोलियम मंत्रालय ने पहले ही देश की तेल विपणन कंपनियों से इसको लेकर सतर्कता बरतने आैर दूसरे विकल्पों पर ध्यान देेने को कहा दिया है।
व्यवहारिक नहीं अमरीकी फरमान
अधिकारियों की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, अमरीका चाहता है कि र्इरान से होने वाले कच्चे तेल के आयात को बिल्कुल कम कर दिया जाए लेकिन ये कहीं से व्यवहारिक नहीं है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इसे मुद्दे पर गुरूवार को तेल कंपनियों के साथ बैठक भी की है। वहीं अगले सप्ताह तक इस मामले पर विदेश मंत्रालय के साथ भी बैठक होने वाली है।
पड़ सकता है मार्जिन पर असर
आपको बात दें कि कच्चे तेल के निर्यात के मामले में र्इरान दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। र्इरान से पहले इराक पहले स्थान पर आैर सउदी अरब दूसरे सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। एक अधिकारी के मुताबिक र्इरान की जगह किसी आैर देश से तेल आयात करना मुश्किल नहीं है लेकिन मार्जिन पर असर पड़ेगा। इसका सबसे कारण ये है कि र्इरान की वाणिज्यिक शर्तें दूसरे देशों से काफी अच्छी है। र्इरान से तेल आयात काे कम करने के बाद जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये कि आखिर भारत किन देशों से कच्चे तेल का आयात करेगा आैर भारत के पास आैर क्या विकल्प है। अधिकारी के मुताबिक लैटिन अमरीका आैर अमरीका जैसे विकल्प भारत के पास मौजूद हैं। सरकार ने शुरुआती दौर में कहा है कि वो तेल अायात के लिए सउदी अरब के तरफ रूख कर सकता है।
विदेश मंत्रालय ने भी जारी किया बयान
विदेश मंत्रालय ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित पक्षाें से किया जाएगा आैर जरूरी कदम भी उठाया जाएगा। मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि, अमरीकी बयान के बाद ये समझना जरूरी है कि बयान भारत के लिए नहीं था बल्कि दुनिया के उन सभी देशों के लिए है जो र्इरान से कच्चा तेल आयात करते हैं। हम उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित पक्षों से बातचीत करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे।