इसलिए बदले जा रहे AC-2 टियर कोच दरअसल, राजधानी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में AC-2 टियर कोच ज्यादा होते हैं। AC-2 टियर कोच में मिलने वाली सुविधाएं AC-3 टियर कोच जैसी ही होती है। इस कारण लोग AC-2 के स्थान पर AC-3 टियर कोच में सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके अलावा AC-2 टियर का किराया AC-3 टियर के मुकाबले अधिक रहता है। इससे AC-2 टियर कोच में सीटें खाली रह जाती है, जबकि AC-3 टियर कोच में यात्रा करने के लिए लंबी वेटिंग रहती है। AC-2 टियर कोच में सीटें खाली रहने और AC-3 टियर में सीट नहीं मिलने के कारण बड़ी संख्या में यात्री सफर नहीं करते हैं। इससे रेलवे को बड़ा नुकसान होता है। अब इसी नुकसान को कम करने के लिए रेलवे ने AC-2 टियर कोचों को हटाकर AC-3 टियर कोच लगाने का फैसला किया है।
रेलवे बोर्ड ने दिए ज्यादा AC-3 टियर कोच बनाने के निर्देश रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, अकेले AC-3 टियर में सालाना करीब 8.50 करोड़ यात्री सफर करते हैं जबकि AC-1, AC-2 और AC चेयर कार को मिलाकर सालाना करीब 5.5 करोड़ यात्री सफर करते हैं। इससे साफ है कि AC-1, AC-2 और AC चेयर कार रेल यात्रियों को कम पसंद आ रहे हैं। इससे निपटने के लिए रेलवे ने AC-3 टियर कोच बढ़ाने की योजना बनाई है। अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए रेलवे बोर्ड ने रेल कोच निर्माण फैक्ट्रियों को ज्यादा से ज्यादा को AC-3 टियर कोच बनाने के निर्देश दिए हैं।