65.2 लाख रुपए का हुआ शुद्ध मुनाफा
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास मैकडॉनल्ड्स की लेटेस्ट फाइलिंग्स से पता चला कि शिकागो में मुख्यालय वाली इस कंपनी की भारतीय इकाई ने वित्त वर्ष 2017-18 में 65.2 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया, जबकि इसके पिछले साल में कंपनी को 305 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ था। साल 1996 में भारत में पैर रखे मैकडॉनल्ड्स को अब तक 421 करोड़ का नेट लॉस हो चुका है।मैकडॉनल्ड्स के भारत में दो पार्टनर हैं। इसके नार्थ और ईस्ट मार्केट के बिजनस को कनॉट प्लाजा रेस्ट्रॉन्ट्स देखती है, जबकि वेस्टर्न और सदर्न मार्केट की मास्टर फ्रेंचाइजी वेस्टलाइफ डिवेलपमेंट के पास है।
8 फीसदी बढ़ी कंपनी की इनकम
इस संदर्भ में मैकडॉनल्ड्स ने बताया कि, ‘कंपनी न सिर्फ अपनी नेटवर्थ में और गिरावट रोकने में कामयाब रही है, बल्कि और पूंजी निवेश कर इस ट्रेंड को सफलतापूर्वक उलटने में भी सक्षम रही है।’ कंपनी की कुल इनकम 8 फीसदी बढ़कर 119.6 करोड़ रुपए हो गई, जिसका अधिकांश हिस्सा रॉयल्टी के जरिए आता है। कंपनी के शानदार प्रदर्शन के संकेत पिछले वित्त वर्ष में ही मिल गए थे, जब डिस्काउंट्स के चलते मॉल में आने वाली भीड़ और नए मार्केट में पहले से बेहतर उपस्थिति के चलते ज्यादातर क्विक-सर्विस रेस्ट्रॉन्ट्स की सेल्स में भारी ग्रोथ देखने को मिली थी।
मुश्किलों से घिरी कंपनी मैकडॉनल्ड्स
गौरतलब है कि 2013 में अपनी जॉइंट वेंचर के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम बख्शी को कंपनी ने पद से हटा दिया था और उसके बाद से ही बख्शी बनाम मैकडॉनल्ड्स का कानूनी विवाद चल रहा है। कंपनी ने पिछले साल अगस्त में सीपीआरएल (CPRL) के साथ अपने सभी फ्रेंचाइजी अग्रीमेंट भी खत्म कर लिए थे। बख्शी अपनी बर्खास्तगी का मामला लेकर नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में चले गए थे। लेकिन इस सब का कंपनी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और 20 साल बाद मैकडॉनल्ड्स को प्रॉफिट हुआ।
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