पहले जमा कर चुकी हैं जुर्माने की 10 फीसदी रकम
सीएमए आैर सीमेंट कंपनियों ने मिलकर अपने उपर लगे जुर्माने के खिलाफ एनसीएलएटी में शिकायत दर्ज कराया था। एनसीएलएटी में इस मामले की सुनवार्इ कर रहे दो जजों की बेंच ने बुधवार को इन कंपनियाें पर लगे जुर्माने को सही ठहराया। इस बेंच की अध्यक्षता जस्टिस एस जे मुकोपाध्याय कर रहे थे आैर उन्होंने कहा कि इन कंपनियों की शिकायत जायज नहीं है। अब इन कंपनियों के पास सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के आलावा आैर कोर्इ दूसरा रास्ता नहीं है। इन सीमेंट कंपनियों ने एनसीएलएटी के निर्देशानुसार पहले ही जुर्माने का 10 फीसदी हिस्सा जमा कर दिया है। हालांकि इन कंपनियों ने अपने बही खाते में इसका जिक्र अभी तक नहीं किया है आैर इसे अाकस्मिक खर्चा ही बताया था।
क्या है पूरा मामला
दरअसल ये मामला साल 2012 का है जब सीसीआर्इ ने 11 सीमेंट कंपनियों पर साल 2009-10 अौर 2010-11 के बीच सुनियोजित तरीकों से कीमतों का बढ़ाया था। सीसीआर्इ के अनुसार ये 11 कंपनियां बाजार की 58 फीसदी हिस्सेदारी रखती हैं आैर बाजार में अपने वर्चस्व का फायदा उठाते हुए सीमेंट की दरों में मन मुताबिक बढ़ाती रहती हैं।
इस तरह कंपनियों ने बढ़ाए सीमेंट के दाम
कम्पटीशन एक्ट (वर्चस्व का गलत फायदा उठाना) के सेक्शन 4 के तहत इन कंपनियों पर उनके प्राॅफिट मार्जिन का 50 फीसदी का जुर्माना लगाया था। इसके साथ ही सीसीआर्इ ने बिल्डर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया की शिकायत पर डायरेक्टर जनरल आॅफ इन्वेस्टिगेशन को जांच करने का आदेश दिया है। सीसीअार्इ ने बताया कि सीमेंट कंपनियों ने अपनी क्षमता अनुसार उत्पादन नहीं किया जिससे की बाजार में सप्लार्इ कम हो गर्इ। आैर इस तरह उन्हें सीमेंट की कीमतों को उंचा बनाए रखने में मदद मिली।
चार बड़ी कंपनियों को देना होगा 1000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना
सीसीआर्इ के आदेशानुसार चार कंपनियों को 1000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना भरना पड़ेगा। इसमें जेपी सीमेंट को 1323.60 करोड़ रुपये, अल्ट्राटेक सीमेंट को 1175.49 करोड़ रुपये, अंबुजा सीमेंट को 1163.91 करोड़ रुपये आैर एसीसी को 1147.59 करोड़ रुपये जुर्माने के तौर पर भरना होगा। इस मामले में जिन अन्य कंपनियों पर जुर्माना लगा है उनमें ग्रासिम सीमेंट (अब अल्ट्राटेक के साथ विलय हो चुका है), लाफार्ज सीमेंट, जेके सीमेंट, इंडिया सीमेंट, मद्रास सीमेंट्स, सेंचुरी सीमेंट आैर बिनानी सीमेंट है।