मुंबई। यदि आपसे पूछा जाए कि किसी कंपनी में सर्वाधिक वेतन कौन पाता है तो जाहिर है आप सीआईओ या एमडी या चेयरमैन ही कहेंगे। लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है। कंपनियां टैलेंट को महत्व दे रही हैं और उसी आधार पर उनका पैकेज भी तय किया जा रहा है।
2014 में टिम कुक ऐपल में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले सीईओ नहीं थे, बल्कि कंपनी ने बाहर से लाई गईं प्रतिभाओं को सबसे अधिक भुगतान किया था। भारत में सिटीग्रुप के इनवेस्टमेंट बैंकिंग हेड रवि कपूर को फर्म के भारतीय मैनेजिंग डायरेक्टर परमित झवेरी से ज्यादा वेतन दिया जाता है।
एक बिजनेस अखबार के मुताबिक, 2014-15 का डेटा दर्शाता है कि बीएसई की 22 कंपनियों में सीईओ को नहीं, बल्कि प्रतिभावान कर्माचरियों को सबसे ज्यादा वेतन दिया जाता है। इनमें टाटा मोटर्स, अदाणी इंटरप्राइजेस, अदाणी पोर्ट्स, रिलांयस पॉवर, रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस कैपिटल, टाइटन कंपनी, कोटेक महिंद्रा बैंक शामिल हैं।
इसी तरह, एचटीएफसी एएमसी, फ्रैंकलिन टेम्प्लेटन और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी जैसी म्युचुअल फंड कंपनियों में भी चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर्स को मैनेजिंग डायरेक्टर और कंपनियों के इंडिया हेड्स से ज्यादा वेतन मिल रहा है।
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